अनुष्ठान करते समय दीपक क्यों जलाते हैं

जिज्ञासा आपकी  समाधान स्वामी रामसुखदास जी महाराज के


          ॐ श्री परमात्मने नमः


_प्रश्‍न‒अनुष्ठान करते समय दीपक क्यों जलाते हैं ?_


*स्वामीजी‒घीका दीपक जलानेसे, गंगाजीके तटपर बैठकर जप करनेसे आवरण (मोह)-का नाश होता है । श्रद्धालुको ज्यादा लाभ होता है । तर्क करनेवालेका हृदय कठोर होता है । भाव तेज हो तो दीपक आदिकी भी जरूरत नहीं ।*


_प्रश्‍न‒जिस समय यहाँ प्रातः पाँच बजे प्रार्थना होती है, उस समय अमेरिकाके कुछ प्रान्तोंमें दोपहरके लगभग साढ़े तीन बजे होते हैं । ऐसी स्थितिमें अमेंरिकामें रहनेवाले व्यक्तिको प्रार्थना कितने बजे करनी चाहिये ?_


*स्वामीजी‒उसको दोपहर साढ़े तीन बजे ही प्रार्थना करनी चाहिये, जिससे यहाँ प्रार्थना करनेवालोंके साथ उसकी एकता हो जाय । अगर वह प्रातः प्रार्थना करे तो भी कोई दोष नहीं है । केवल यह फर्क रहेगा कि सबके साथ एकता नहीं होगी ।*


_प्रश्‍न‒मन्त्र-जपमें दीक्षाकी आवश्यकता है या नहीं ?_


*स्वामीजी‒शिव, हनुमान् आदि जिसमें साधककी रुचि हो अथवा जिनके मन्त्रका वह जप करता हो, उन्हींको अपना गुरु मान लेना चाहिये । अगर उसकी दृष्टिमें कोई भगवत्प्राप्त महात्मा हो तो उनसे दीक्षा लेनी चाहिये । वास्तवमें सांसारिक कामनाओंकी सिद्धिके लिये दीक्षाकी जरूरत है ।* _भगवत्प्राप्तिके लिये दीक्षा लेनेकी जरूरत नहीं है ।_


 


 


 


*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*