रसेन्द्र चूड़ामणि रस

" *रसेन्द्र चूड़ामणि रस* "
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रसेन्द्र चूड़ामणि रस जड़ी-बूटी और भस्मों से बनी स्वर्णयुक्त बेजोड़ दवा है जिसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग दूर होते हैं। *शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नामर्दी दूर करने और भरपूर जोश और जवानी लाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है.* तो आईये जानते हैं रसेन्द्र चूड़ामणि रस का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल:-


💠संभोग का नाम लेते ही नामर्दी को दूर करने और जोश बढ़ाने के लिए हमारे मन में आने वाला सबसे पहला नाम है वियाग्रा। वियाग्रा हमें एक बार के लिए चुस्ती फुर्ती और काम शक्ति तो देता है परंतु साथ ही साथ वह हमें कमजोर भी करता है। *वियाग्रा लेने वालों को ऐसी आदत पड़ जाती है कि वह वियाग्रा लेने के अलावा संभोग कर ही नहीं सकते* । उन्हें उन्हें ह्रदय व गुर्दों के रोग हो जाते हैं।


💠 *राजा महाराजाओं की काम शक्ति का राज है रसेंद्र चूड़ामणि रस।* जो राजा महाराजा अनेक रानियां रखते थे वे सबके साथ संभोग करने के लिए है अपनी शक्ति को रसेंद्र चूड़ामणि रस के माध्यम से बढ़ाते थे।


💠 *जो जोड़े आपस में प्रेम संबंध को बढ़ाना चाहते हैं वे रसेंद्र चूड़ामणि का प्रयोग अवश्य करें।* 


💠रसेंद्र चूड़ामणि रस संभोग की शक्ति को बढ़ाने का प्राकृतिक उपाय है इसलिए वह बहुत ही असरकारक है और सिर्फ *20 दिन के सेवन मात्रा से स्थाई असर देता है।* 


💠इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण होने के कारण अफीम से होने वाले नुकसान बहुत कम हो जाते हैं। *लेकिन फिर भी इसका सेवन 20 दिनों से जयादा न करने की सलाह दूँगा।* 


💠 *शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह "रसेंद्र चूडामणि रस" वरदान है।* जबकि दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग तुरंत प्रभाव से असर दिखाता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।
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➡ बनाने की विधी :
• पारा भस्म 1 ग्राम।
• स्वर्ण भस्म 2ग्राम।
• नाग भस्म 100 पुटी 3 ग्राम।
• अभ्रक भस्म 1000 पुटी 4 ग्राम।
• वंग भस्म 5 ग्राम।
• अतुल शकतिदाता योग (खुद तैयार किया) 6 ग्राम।
• चाँदी भस्म 7 ग्राम।
• स्वर्ण माक्षिक भस्म 8 ग्राम।
सबको मिलाकर धतूरे के पतों के रस और भंग के पतों के रस में तीन दिन खरल करें। फिर मघाँ, गिलोय, भड़िंगी, अंबरबेल, खस, नागरमोथा, शुद बचनाग, मुलठी, शतावर, कौंच के रस जा काड़े की सात- सात भावना देवें। जब सारी दवाई सूख जाये तो इसके कुल वजन की आधी अफीम मिलाकर तुलसी के रस में घोटकर 1-1 रती की गोली बनाकर छाया में सुखा लें।
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➡ मात्रा :
1 या 2 गोली तक दूध से लेवें। तुरंत प्रभाव हेतू संभोग से 2 घंटे पहले गर्म दूध से लेवें।
यह नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग है।