संतवाणी - जिज्ञासा - समाधान श्रद्धा स्वामी रामसुखदास जी महाराज के सानिध्य में

संतवाणी - जिज्ञासा भक्तों की समाधान स्वामी रामसुखदास जी महाराज का


ॐ श्री परमात्मने नमः


_प्रश्‍न‒एक व्यक्ति आर्थिक समस्यासे बहुत दुःखी है और इससे छूटनेका उपाय जानना चाहता है । हनुमानचालीसा आदिका पाठ भी करता है । उसे क्या करना चाहिये ।_


*स्वामीजी‒वह जो अनुष्ठान करता है, उसको करता रहे । जब अनुष्ठान प्रारब्धसे तेज हो जायगा, तब उसकी समस्या दूर हो जायगी ।*


श्रीदः श्रीशः श्रीनिवासः श्रीनिधिः श्रीविभावनः ।
श्रीधरः   श्रीकरः   श्रेयः   श्रीमाँल्लोकत्रयाश्रयः ॥
(श्रीविष्णुसहस्रनाम॰ ७८)


*‒इसका सम्मुट लगाकर श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रका रोज एक पाठ करे ।*


_प्रश्‍न‒एक व्यक्तिका पत्र आया है । वह गम्भीर संकटमें है और उससे बचनेके लिये आपसे उपाय पूछ रहा है । उसे क्या करना चाहिये ?_


*स्वामीजी‒सम्पूर्ण संकटोंको दूर करनेवाला एक उपाय है । श्रीहनुमान्‌जीके चित्रको लाल वस्‍त्र धारण कराके लाल आसनपर विराजमान करे । सामने भोग-सामग्री रखे‒चनेकी दाल और गुड़ । दाल कच्‍ची हो और गंगाजल अथवा कुएँके जलसे धोयी हुई हो । गायके घीका दीपक जलाकर चित्रके दाहिनी ओर रखे । फिर ‘श्रीहनुमान्‌चालीसा’ के एक सौ आठ पाठ करे । पाठ समाप्त होनेपर भोग-सामग्रीको बच्‍चोंमें अथवा बन्दरोंमें बाँट दे । पाठके समय अपने वस्‍त्र तथा आसन भी लाल रंगके हों तो उत्तम है ।*


*‒इस प्रकार बिना नागा किये एक सौ आठ दिनतक प्रतिदिन एक सौ आठ पाठ करे । अनुष्ठान-कालमें पूर्ण संयम रखे ।*


_प्रश्‍न‒यदि एक समय पूरा पाठ न कर सकें तो ?_


*स्वामीजी‒अगर एक समय पूरा पाठ न कर सके तो प्रातः-सायं आधा-आधा पाठ भी कर सकते है ।*


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