सोने की कीमतों में पिछले एक साल से जबरदस्त तेजी बनी हुई है। भारतीय बाजार में सोने की कीमतें 40 हजार प्रति दस ग्राम के पार पहुंच चुकी हैं। इसके बावजूद भारतीय की सोने में दिलचस्पी कम नहीं हो रही है। आखिर, क्या वजह है कि सोने की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने के बाद खरीदरारी कम होने का नाम नहीं ले रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोना को भारतीय अनौपचारिक बीमा के तौर पर मानते हैं। वह इसे वित्तीय संकट का सबसे मजबूत साथी मानते हैं।
देश में सोने का आयात
वित्त वर्ष सोने का आयात (किलो में)
2013-14 661,713
2014-15 915,458
2015-16 968,063
2016-17 780,152
2017-18 955,333
2018-19 982,711
2019-20 533,376
(अप्रैल-नवंबर) स्रोत: सीएमआई
पीली धातु में दिलचस्पी क्यों?
भारत में जरूरत का अधिक सोना आयात ही होता है। देश के खानों से बहुत ही कम सेाना निकलता है। वहीं, ज्वैलरी और सुरक्षित निवेश होने के कारण आम से खास लोगों के बीच सोने के प्रति आकर्षण नैसर्गिक रहा है। इसी का परिणाम है वित्त वर्ष 2019 में सोने की कीमत में करीब 25 फीसदी का उछाल आने के बावजूद वित्त वर्ष 2014 के बाद सबसे अधिक सोने का आयात हुआ। पिछले वित्त वर्ष में 983,000 किलो सोने का आयात किया गया। जानेमाने लेखक रिचर्ड डेविस अपनी किताब एक्सट्रीम इकोनॉमीज में लिखते हैं कि गोल्ड एक तरह का अनौपचारिक बीमा। इसलिए इसके प्रति आकर्षण होना स्वभाविक है।
वित्तीय संकट का साथी
भारतीय में सोने के प्रति दिवानगी होने का सबसे मजबूत वजह यह है कि यह वित्तीय संकट का सबसे मजबूत साथी माना जाता है। पैसे की जरूरत पड़ने पर इसको बेचना या इसके एवज में कर्ज लेना सबसे आसान है। शेयर बाजार, म्यूचअल फंड और कर्ज बाजार में बनी अस्थिरता से भी सोने में पैसा लगाना निवेशकों को सबसे सुरक्षित लगता है।
केंद्रीय बैंक ने बढ़ाई खरीदारी
आम निवेशकों के साथ दुनिया के कई सेंट्रल बैंक भी सोने की अपनी खरीद को लगातार बढ़ा रहे हैं। आधुनिक मुद्रा व्यवस्था में भी सेंट्रल बैंक अपने रिजर्व का एक हिस्सा सोने के रूप में रखते रहे हैं। जानकर मानते हैं कि वैश्विक अस्थिरता कारण केंद्रीय बैंकों की सोने में दिलचस्पी बढ़ी है। इसके साथ ही अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्रीय बैंक सोने की खरीदारी कर रहे हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने शुल्क कटौती का प्रस्ताव दिया
वाणिज्य मंत्रालय ने बजट में सोने पर लगने वाले आयत शुल्क में कटौती का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय का इसके पीछे का मकसद जेम्स और ज्वैलरी कारोबार के निर्यात को बढ़ावा देना है। पिछले बजट में, सरकार ने पीली धातु पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। इससे सोने का कारोबार प्रभावित हुआ है। रत्न और आभूषण उद्योग ने सोने के आयात पर चार प्रतिशत आयत शुल्क लगाने की मांग की है।