अयोध्या को नो फ्लाइंग जोन घोषित करने की तैयारी, चाकचौबंद होगी प्रस्तावित मंदिर की सुरक्षा

अयोध्या। रामनगरी में बनने जा रहे भव्य राममंदिर के ऊपर से हवाई यात्रा नहीं हो सकेगी। राममंदिर की सुरक्षा को लेकर तैयार की गई योजनाओं में नो-फ्लाइंग जोन का भी प्रस्ताव शामिल है। हालांकि वर्ष 2005 में अधिगृहीत परिसर पर हुए आतंकी हमले के बाद से परिसर के ऊपर हेलीकाप्टरों का मंडराना न के बराबर हो गया है। जब भी परिसर पर कोई हेलीकाप्टर मंडराता है, तो पुलिस से लेकर खुफिया एजेंसियों तक के कान खड़े हो जाते हैं। स्थानीय पुलिस 'नो-फ्लाइंग जोन' को लेकर प्रयासरत है।


सुरक्षा तंत्र से जुड़े जानकार मानते हैं कि सुप्रीम फैसला आने के बाद राममंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। ट्रस्ट गठन के साथ ही मंदिर निर्माण की गतिविधियां जोर पकड़ेंगी। ऐसे में रामलला के प्रस्तावित मंदिर की सुरक्षा को लेकर भी नए सिरे से तानाबाना तैयार करना होगा, जिसमें 'नो-फ्लाइंग जोन' का प्रस्ताव काफी अहम है। मंदिर की सुरक्षा को पुख्ता बनाने में इस प्रस्ताव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गत नौ नवंबर को आए सुप्रीम फैसले के बाद इस प्रस्ताव को नए सिरे से राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।


आतंकी खतरे को ध्यान में रखते हुए बनाई गई इस योजना से संबंधित पत्रावली शासन से केंद्र सरकार को भेज दी गई है। माना जा रहा है कि राममंदिर को लेकर गंभीर केंद्र सरकार इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर जल्द ही कदम उठा सकती है। रविवार को डीजीपी हितेशचंद्र अवस्थी की समीक्षा बैठक में उठे मुद्दों में भी 'नो-फ्लाइंग जोन' शामिल था। यही नहीं मंदिर की सुरक्षा को लेकर दो स्तरीय सुरक्षा व निगरानी के इंतजाम प्रस्तावित हैं। गर्भगृह और दर्शनार्थियों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं होंगी। परिसर में आधुनिक कंट्रोल रूम के साथ ही पृथक पुलिस चौकी अथवा थाना भी देखने को मिल सकता है।


एसएसपी अयोध्या आशीष तिवारी ने बताया क‍ि राममंदिर की सुरक्षा के लिए उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन में नए सिरे से योजनाओं पर विमर्श चल रहा है। नो-फ्लाइंग जोन को लेकर भी भेजे गए प्रस्ताव पर उच्चाधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया गया है। जानकारी में आया है कि पत्रावली केंद्र सरकार के पास पहुंच चुकी है।