बच्चों को पतले दस्त  


बच्चों को पतले दस्त  (Diarrhoea in children) -
      बच्चे को पतले दस्त होने पर बच्चे के भोजन में बदलाव कर देना चाहिए- जैसे पतली खिचड़ी में दही मिलाकर देना और केले को अच्छी तरह से पीसकर देना।


1. जब ज्यादा दस्त उल्टी होने के कारण बच्चे के शरीर में पानी, नमक और सोडियम की कमी हो जाए तो बच्चे को नमक और चीनी का घोल बनाकर बार-बार पिलाते रहना चाहिए। डायरिया का मतलब है बच्चे को बार-बार पानी के जैसे पतले दस्त होना जिसकी वजह से बच्चे के शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है यह रोग ज्यादातर 6 महीने से लेकर 2 साल तक के बच्चों को होता है।


नमक-चीनी का घोल बनाने की घरेलू विधि -
    एक गिलास उबले पानी में एक चुटकी भर पिसा हुआ नमक या एक चुटकी खाने वाला सोडा और एक चाय वाला चम्मच भर चीनी ( यदि ग्लूकोज मिलायें तो चीनी से आधी मात्रा मिलाएं और यदि गुड़ मिलाना हो तो सुपारी के बराबर गुड़) डालकर घोल बनाकर किसी, कांच के बर्तन में ढककर रख दें। इस घोल के पानी को 1-2 चम्मच हर आधे घंटे के बाद बच्चे को तब तक पिलाते रहे जब तक दस्त चालू रहे और बच्चे को 2 बार पेशाब न आ जाए।


       इस घोल को हर 12 घंटे के बाद (बचा हुआ घोल फेंककर) दुबारा ताजा घोल बनाकर प्रयोग करना चाहिए। निर्धारित मात्रा में चीनी और नमक का यह घोल दस्त के गम्भीर दुष्परिणामों से बचाता है। साथ ही रोग के दौरान और बाद में भी बच्चों को भोजन देते रहना चाहिए। जैसे- मां का दूध देना और पानी आदि बंद न करें। थोड़ा-थोड़ा सादा पानी भी दें। साथ ही दाल का पानी, दही का पानी़, नारियल का पानी और दूसरे तरल पदार्थ भी देते रहना चाहिए। 2 साल से कम उम्र के बच्चे को पका हुआ केला पीसकर देना चाहिए। 2 साल से बड़े बच्चों के लिए दही और चावल बहुत अच्छा भोजन है। ध्यान रखें कि उल्टी दस्त बंद होते ही ठोस भोजन लेना शुरू नहीं कर देना चाहिए, बल्कि मलाई अलग किया हुआ दूध दें। उसके बाद जल्दी हजम होने वाले अन्य पोषक खाने वाले पदार्थ जैसे पतला दलिया, पतली खिचड़ी दें। सब्जी या अन्य फलों के रस (अलग-अलग तरह के सूपों के रस) देते हुए रोगी को धीरे-धीरे दुबारा सामान्य भोजन पर ले आना चाहिए। ज्यादातर बच्चों में डायरिया ज्यादा नहीं होता अत: उनके शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।


निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से बचने के लिए
     पानी में नमक और चीनी मिलाकर बनाया हुआ घोल, कच्चे दूध की लस्सी, नमकीन, छाछ (लस्सी) या कच्चे नारियल का पानी देना चाहिए। गम्भीर डिहाइड्रेशन की अवस्था सूचक लक्षणों जैसे बच्चे का मुंह और जीभ सूखना, सांस का असामान्य लगना, बच्चे का ज्यादा बीमार होना, चिड़चिड़ा या कमजोर लगना, पाखाने (टट्टी) में आंव या खून आना, उल्टी आना, रोजाना से कम पेशाब आना आदि में नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र जहां ओ. आर. एस. (ओरल रीहाइड्रेशन साल्ट सोल्यूशन) विश्व स्वास्थ्य संगठन के फार्मूला के अनुसार ग्लूकोज, नमक, खाने का सोडा, पोटैशियम क्लोराइड के मिश्रण के रूप में उपलब्ध रहता है अथवा ले जाने की जरूरत पड़ सकती है। अन्यथा घर पर ही इलाज हो जाता है। पुनर्जलीकरण (रिहाइड्रेशन) के लक्षण अर्थात् जीभ का गीला व नरम होना, तालू का ऊपर उठ जाना, आंखें ठीक अवस्था में होना तथा आंसू आना, चमड़ी को पकड़कर छोड़ने के बाद पहले की हालत में आ जाना, कम से कम दो बार पेशाब आना और प्यास का कम हो जाना आदि लक्षण बच्चे के स्वस्थ होने के सूचक हैं।


1. दालचीनी : दालचीनी और सफेद कत्थे का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से अपच के कारण बार-बार होने वाले पतले दस्त बंद हो जाते हैं।


2. आम :


लगभग 7 से 28 मिलीलीटर आम के बीजों की मज्जा तथा बेल के कच्चे फलों की मज्जा का काढ़ा दिन में तीन बार प्रयोग करने से बच्चों के पतले दस्त आना बंद जाते हैं।
आम की गुठली की गिरी भून लें। एक-दो ग्राम की मात्रा में चूर्ण कर एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार चटायें। यदि रक्तातिसार (खूनी दस्त) हो तो आम की अंतरछाल को दही में पीसकर पेट पर लेप करना चाहिए।
3. धान : लगभग 10 से 20 ग्राम धान के लावों को 7 से 14 मिलीलीटर बेल की जड़ के काढ़े के साथ दिन में तीन बार देना चाहिए।


4. इन्द्रजौ : छाछ के पानी में इन्द्रजौ के मूल को घिसें और उसमें थोड़ी हींग डालकर पिलायें।


5. जायफल : जायफल को पानी में घिसकर आधा-आधा चम्मच 2-3 बार पिलाएं।


6. दूध : छोटे बच्चों को दस्त हो तो गरम दूध में चुटकी भर पिसी हुई दालचीनी डालकर पिलाते हैं। बड़ों को दोगुनी मात्रा में पिलाना चाहिए।


7. बरगद : नाभि में बरगद का दूध लगाने और एक बताशे में 2-3 बूंद डालकर दिन में 2-3 बार खिलाने से सभी प्रकार के दस्तों में लाभ होगा।