लहसुन:गरीबों की कस्तूरी

🍃 *Arogya*🍃
*लहसुन:गरीबों की कस्तूरी*
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लहसुन को सभी चिकित्सा ग्रंथों में गुणों की खान बताया है।इसके अनेकानेक प्रयोग हैं।यह शरीर को ह्रष्ट-पुष्ट और कांतिवान बनाता है।जिगर महत्त्वपूर्ण रुप से स्वस्थ और निरोग है तो भी लहसुन का प्रयोग करें।ऐसा करने से शरीर तो सदा निरोग बना रहेगा और व्यक्ति स्वस्थ रहेगा।


लहसुन शरीर को मजबूत बनाता है।इसकी तासीर गर्म होती है,परंतु इसकी जब यही गर्मी शरीर के सारे दूषित विकार निकालकर बाहर फेंक देती है तो शरीर एकदम ठंडा,शांत और पवित्र बन जाता है।


लहसुन वास्तव में गुणों की खान है।इसमें विटामिन ए,बी तथा सी पाए जाते हैं।कुछ विषेशज्ञों के अनुसार,इसमें विटामिन ई भी होता है।प्रकृति में जो ६ रस पाये जाते हैं,उनमें से एक खटाई को छोड़कर बाकी सब इसमें प्रचरता के साथ हैं।


चरक संहिता,काश्यप संहिता तथा सुश्रुत संहिता में इसके गुणों के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है।


लहसुन का सेवन कच्चा ही ज्यादा उपयुक्त है।दो-चार कच्ची कली छीलकर फिर चबाकर ऊपर से दूध या पानी पी लेना चाहिए।
गर्मियों में सिर्फ १ या दो कली सेवन करें।


लहसुन हमारे शरीर में टूट-फूट की मरम्मत करता है।मृत कोशिकाओं को नवजीवन प्रदान करता है।शरीर में क्षय का घुन,नपुंसकता और क्षीणता को रोककर,फुर्तीला और चुस्त-दुरुस्त बनाता है।लहसुन शरीर में प्रवेश कर सभी रोगाणुओं को बड़ी आसानी से नष्ट कर देता है।यह शरीर में प्रवेश कर इतनी गर्मी पैदा करता है जिससे सारे रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।


यह रक्त म़े लाल कणों की बढ़ोतरी करता है।रक्त की कोशिकाओं को पुष्ट बनाता है।रक्त शुद्ध करता है।यह आंतों,पेट व आमाशय की भी सफाई करता है तथा उन्हें ठीक भी रखता है तथा पाचनक्रिया को दुरूस्त बनाता है।यह हड्डियों,माँस-पेशियों को मजबूत बनाता है।खून की खराबी को दूर करता है।इसकी गंध मात्र से ही शरीर में अदृश्य रुप से प्रवेश कर गये रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।इसका निरन्तर प्रयोग करने वाले को एनीमा लेने की आवश्यकता महसूस नहीं होती।


यह अनिद्रा को दूर करता है।पेट के रोगों का नाश करने वाला,ह्रदय को मजबूत बनाने वाला,विष के दुष्प्रभाव को नष्ट करने वाला है।यह शक्तिवर्धक,दिल को ताकत देने वाला, वीर्यवर्धक,स्निग्ध,टूटी हड्डियों को जोड़ने वाला,नेत्रज्योतिवर्धक तथा पाचक है।


यह कब्ज को दूर करता है।सूजन को मिटाकर रक्त संचार की गति को ठीक करता है।इसके सेवन से अनेक रोग नष्ट होते हैं।इसका प्रभाव शीघ्र होने लगता है।चिकित्सा की दृष्टि से यह अत्यन्त मूल्यवान माना गया है।जो कार्य रोगों को नष्ट करने में सोने-चाँदी का ढेर काम नहीं कर सकता है,वह काम लहसुन का निरन्तर सेवन करने से मिलता है।


लहसुन खाने वाला पुरुष मजबूत शरीर वाला, बुद्धिमान,लम्बी आयु वाला,सुंदर संतान वाला होता है।लहसुन खाने वाले को थकान नहीं होती।


लहसुन कीड़ों को मारता है।कोढ़ मिटाता है।सफेद कुष्ठ मिटाता है।वात का असर दूर करता है।वायु गोला,अफारा दूर करता है।


सुश्रुत संहिता के अनुसार,लहसुन चिकना,गरम,तीखा,कटु,लेसदार,भारी,कब्ज को तोड़ने वाला,मधुर स्वर वाला,बलदायक, वीर्यवर्धक,बुद्धिवर्धक,स्वर को मधुर बनाने वाला,चेहरे की रंगत साफ करके कांति प्रदान करने वाला,आँखों की रोशनी बढ़ाने और आँखों के रोग दूर करने वाला है।
यह टूटी हुई हड्डी को जोड़ने के लिए लाजवाब है।ह्रदय रोग का नाश करता है।पुराने बुखार को दूर करता है।अरुचि मिटाता है,भूख बढ़ाता है,खांसी मिटाता है।शोथ,अर्श(बवासीर),कोढ़,मंदाग्नि को दूर.करता है।पेट के कीड़े नष्ट करता है।वायु,सांस तथा कफ के रोगों को भी दूर करता है।


यदि इसे कच्चा ही खाया जाए तो कई रोगों को तो बड़ी आसानी से दूर कर देता है।यह आयुवर्धक,शरीर का भार बढ़ाने वाला है।शरीर को आकर्षक व निरोगी बनाता है।


स्त्रियों में सुकुमारता और सुन्दरता पैदा करता है।बालों के लिए लाभदायक है।यौवन स्थिर रखता है।


वनस्पतियों में लहसुन को अनुपम बताया गया है।इसकी तुलना में कोई रसायन,कोई औषधि, कोई भस्म या कोई योग नहीं है।इसके गुण सुनकर वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।


*लहसुन के संस्कृत नाम इस प्रकार हैं:*-लहसुन,उग्रगंध,रसौन,महौषध,अरिष्ट,पवनेष्ट, मलेच्छकंद और रसोनक।


आयुर्वेद के अनुसार,लहसुन शरीर को गर्म रखने वाला,कफ,गैस,अपच,बदहजमी दूर करने वाला,जोड़ों के दर्द और लकवा(अर्द्धांग) में लाभ पहुंचाने वाला,ह्रदय रोगों को दूर करने वाला है।


लहसुन काम शक्तिवर्धक,वीर्यवर्धक,तर-गरम और पाचक,कब्ज निवारक,तीव्र और मृदु है।टूटी हड्डियों को जोड़ने वाला,गले के लिए लाभदायक,रक्तवर्धक,शरीर की रंगत को निखारने वाला,बुद्धिवर्धक,बुढ़ापानाशक,कफ व वायु रोगों को जड़ से नष्ट करने वाला, दिल को शक्ति देने वाला,बदहजमी,बुखार व पसलियों के दर्द को दूर करने वाला,भूख बढ़ाने वाला,खाँसी,सूजन,बवासीर व कोढ़नाशक व बलगम को शरीर से निकालने वाला है।


लहसुन के अंदर निमोनिया तो क्या तपेदिक (टी.बी.) तक को नष्ट करने की शक्ति विद्यमान है।समस्त चर्मरोग, अधरंग,रतौंधी, पथरी, भगंदर,स्त्रियों के मासिक स्राव के रोग,प्लीहा आदि के लिए लाभदायक है।


लहसुन का प्रयोग करते रहने से कमर,पेडू तथा अन्य अंग ठीक रहते हैं।मोटापा या कोई अन्य रोग नहीं सताता।लहसुन का नियमित प्रयोग करने वाली स्त्री कभी बन्ध्या नहीं होती।


वैद्यक ग्रंथों के अनुसार,लहसुन को सर्व रोग दूर करने वाला अमृत रसायन माना गया है।इसका सेवन करने वाले मनुष्य के दाँत,माँस, नाखून,बाल,रंग,यौवन और बल कभी भी क्षीण नहीं होते।


आधुनिक खोजों से यह पता चला है कि स्ट्रेप्टोमाइसीन इंजेक्शन जो क्षय (टी.बी.) रोग के लिए प्रयोग में लाया जाता है,यह उससे भी अधिक प्रभावशाली है।इसका कोई कुप्रभाव शरीर पर नहीं होता।
 
यह स्नायुसंस्थान को मजबूत बनाता है तथा पेट के रोग,फेफड़ों के रोग तथा प्रसवकाल में उत्पन्न रोगों को दूर करता है।


लहसुन गरीबों के लिए सबसे अधिक सस्ता एंटीबायोटिक और हानिरहित औषधि है।यह शरीर के पैर के नाखून से लेकर सिर के बाल तक शरीर के प्रत्येक भाग व अवयवों पर अपना रोगनाशक प्रभाव डालता है।जिनको दिल का दौरा पड़ता हो उन्हें लहसुन का सेवन शुरु कर देना चाहिए।
यह कई प्रकार की कैंसर की रसौलियों को ठीक करने की क्षमता रखता है।यह कोलेस्ट्रोल को भी कम करता है।


गर्भवती स्त्री व विद्यार्थी को (ब्रह्मचर्य काल में) इसका सेवन नहीं करना चाहिए l