लोध्र के फायदे गुण उपयोग और नुकसान

लोध्र के फायदे गुण उपयोग और नुकसान


लोध्र क्या है ? :


लोध्र को लोध भी कहते हैं। यह एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष होता है जिसकी छाल लोध्र के नाम से बाज़ार में मिलती है और छाल ही उपयोग में ली जाती है। लोध्र श्वेतप्रदर, रक्त प्रदर, गर्भाशय शिथिलता, त्वचाविकार, रक्त विकार की चिकित्सा में बहुत लाभप्रद सिद्ध होता है। इसके वृक्ष बंगाल, आसाम, हिमालय तथा खासिया पहाड़ियों से छोटा नागपुर तक पाये जाते हैं। मोटी छाल वाला होने से इसे स्थूल वल्कल भी कहते हैं। भाव प्रकाश निघण्टु में लिखा है –


लोध्रो ग्राही लघुः शीतः चक्षुष्यः कफपित्तनुत्। 
कषायो रक्तपित्तासग्ज्वरातीसार शोथ हत्।।


लोध्र का एक प्रकार और होता है जिसे पठानी लोध या पटिया लोध कहते हैं। दोनों के गुण व उपयोग एक समान हैं। आयुर्वेदिक योग लोधासव और लोधादि क्वाथ इसी से बनाये जाते हैं। इसकी छाल में लाटुरिन (Loturine) कोलोरिन (Colloturine) तथा लाटुरिडिन (Loturidine) नामक क्षाराभ पाये जाते हैं। यह रक्त स्तम्भक (रोकने वाला) और शोथहर होने से रक्तप्रदर और गर्भाशय-शिथिलता के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होता है इसलिए नारी-रोगों में इसका उपयोग गुणकारी सिद्ध होता है।



लोध्र के औषधीय गुण :


इसकी छाल ग्राही, कफ पित्त शामक, हलकी, शीतल, नेत्रों को हितकारी,कषाय रस युक्त तथा रक्त पित्त, रक्त विकार, ज्वर, अतिसार और शोथनाशक होती है। यह रक्त रोकने वाली, घाव भरने वाली और बल्य है। मूत्र विकारों पर भी यह गुणकारी है।


लोध्र के उपयोग : 


इसका उपयोग प्रमुख रूप से नारी-रोगों, त्वचा रोगों और अतिसार में गुणकारी सिद्ध होता है। हम यहां कुछ ऐसे सफल सिद्ध घरेलू नुस्खे प्रस्तुत कर रहे हैं जो प्रयोग कराने पर निरापद व गुणकारी सिद्ध हुए हैं।


रोग उपचार में लोध्र के फायदे : 


रक्त प्रदर में लोध्र का उपयोग फायदेमंद 


मासिक ऋतु स्राव के दिनों में अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक रक्तस्राव होना ‘रक्त प्रदर’ रोग होता है। इस रोग में लोध्र का बारिक पिसा हुआ चूर्ण एक ग्राम और पिसी हुई मिश्री एक ग्राम- दोनों को मिला कर ठण्डे पानी के साथ 3-3 घण्टे से लेना चाहिए। 4-5 दिन लेने से रक्तस्राव होना बन्द हो जाता है।


मसूढों का रोग मिटाए लोध्र का उपयोग 


मसूढ़े पिलपिले हों, उनसे रक्त निकलता हो तो लोध्र का काढ़ा बना कर, इस काढ़े से सुबह शाम कुल्ले करने से मसूढ़े ठीक हो जाते हैं और रक्त निकलना बन्द हो जाता है।


स्तनों की पीडा मिटाता है लोध्र


लोध्र को पानी में पीस कर स्तनों पर लेप करने से स्तनों की पीड़ा दूर होती है।


गर्भपात से रक्षा करे लोध्र का उपयोग


गर्भवती के सातवें और आठवें माह में गर्भपात की आशंका हो या लक्षण दिखाई दें तो लोध्र और पीपल का महीन पिसा चूर्ण 1-1 ग्राम मिला कर शहद के साथ चाटने से लाभ होता है।


लोध्र के इस्तेमाल से कील मुंहासे में लाभ


धनिया का पाउडर ,बच और लोध की छाल तीनों को बराबर की मात्रा में मिलाकर पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। अब यह लेप सुबह नहाने से पहले और रात को सोने से पहले चेहरें पर लगा लें इससे कील-मुंहासे नष्ट हो जाएंगें। इसके साथ ही आपके चेहरे की चमक भी बढ़ेगी।


श्वेतप्रदर दूर करने में लोध्र फायदेमंद


बरगद के पेड़ की छाल और लोध्र मिलाकर काढ़ा बना लें। रोजाना सुबह-शाम 2 चम्मच की मात्रा में यह काढ़ा कुछ दिनों तक पीने से रोग में लाभ होता है।


योनिक्षत में फायदेमंद लोध्र का औषधीय गुण


प्रसव के समय योनि में क्षत (घाव या छिलन) होने पर लोध्र का महीन पिसा । हुआ चूर्ण शहद में मिला कर योनि के अन्दर लगाने से क्षत ठीक होते हैं।


फोडे़-फुंसी में लोध्र के इस्तेमाल से फायदा


लोध्र की छाल को पानी में घिसकर लेप बनाकर 2 से 3 बार रोजाना घाव पर लगाने से फोड़े-फुंसी ,घाव आदि ठीक हो जाते हैं।


सूजन और घाव में लाभकारी है लोध्र का प्रयोग


लोध्र के चूर्ण को शहद में मिला कर सूजन और घाव पर लेप करने से सूजन व घाव ठीक होते हैं।


लोध्र के नुकसान : 


1- लोध्र के सेवन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- लोध्र को डॉक्टर की सलाह अनुसार सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।


(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)