सेना में महिलाओं के लिए कमांड पोस्ट व स्थायी कमीशन को मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

नई दिल्‍ली। सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सहमति दे दी है साथ ही कमांड पोस्‍ट के लिए भी महिलाओं को योग्‍य बताया है। कोर्ट ने इसके लिए समय भी निश्‍चित कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि तीन माह के भीतर महिलाओं के लिए सेना में स्‍थायी कमीशन का गठन किया जाए। 


जस्‍टिस डीवाई चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि महिलाओं को स्‍थायी कमीशन से इंकार का कोई कारण नहीं। उन्‍होंने तान्‍या शेरगिल और कैप्‍टन मधुमिता जैसी अग्रणी महिला अधिकारियों के नाम भी गिनाए। कोर्ट ने लेह, उधमनगर में कमांडर महिला अधिकारियों का भी उल्‍लेख किया। साथ ही कमांड पोस्‍ट के लिए भी महिलाओं को योग्‍य बताया।


महिलाओं को लेकर मानसिकता बदलने की जरूरत:  कोर्ट


दिल्‍ली हाईकोर्ट की ओर से पहले ही में महिलाओं के पक्ष में फैसला हो चुका था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखते हुए अपना यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा, 'महिलाओं को लेकर  मानसिकता बदलनी चाहिए और सेना में सच्‍ची समानता लानी होगी। पुरुषों के साथ महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं।'


कमांड पोस्‍ट के योग्‍य हैं महिलाएं


केंद्र का तर्क था कि सेना में 'कमांड पोस्ट' की जिम्‍मेवारी महिलाओं को नहीं दी जा सकती।  कमांड पोस्‍ट का अर्थ किसी सैन्य टुकड़ी की कमान संभालना और उसका नेतृत्व करना है। कोर्ट ने कहा कि कमांड पोस्‍ट पर महिलाओं को आने से रोकना समानता के विरुद्ध है। कोर्ट ने आगे कहा कि महिलाओं को समान मौके से वंचित रखना अस्‍वीकार्य और परेशान करने जैसा है। 


 प्रगतिशील निर्णय


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, सेना में शामिल सभी महिला अधिकारी स्‍थायी कमीशन के योग्‍य हैं चाहे उनकी सर्विस के कितने भी साल हुए हों। इस पर लेफ्टिनेंट कर्नल सीमा सिंह ने कहा,'यह एक प्रगतिशील निर्णय है। इस फैसले के बाद सेना में महिलाओं को एक अच्छा करियर मिलेगा।'