शक्ति, समृद्धि, यश और स्वास्थ्य का रक्षक है रूद्राक्ष

*रूद्राक्ष*


      *रूद्राक्ष की उत्पत्ति रूद्राक्ष नामक पेड़ से होती है। इसलिए इसे रूद्र कहते हैं। इसका बीज ही रूद्राक्ष कहलाता है। यह ईंट की तरह लाल तथा सूखा हुआ होता है। संस्कृत में रूद्राक्ष का अर्थ होता है- रूद्र + अक्ष यानी `लाल आंख´। रूद्र यानि शिव (महादेव) की आंख को कहा जाता है। रूद्राक्ष हर व्यक्ति पर अपनी शक्ति का अलग-अलग प्रभाव छोड़ता है।*


 *इसकी ऐसी मान्यता है कि यदि इसकी माला को गले में धारण किया जाये तो खुशहाली, सुख-सम्पत्ति और शांति मिलती है। रूद्राक्ष में ऐसा गुण है जो अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करते हैं और बुढ़ापा भी नहीं आने देता है। रूद्राक्ष का प्रयोग हर प्रकार के तनाव से मुक्ति,उच्च रक्तचाप तथा हृदय (दिल) रोगों से बचाव के लिए प्राचीन समय से किया जाता रहा है।*


*असली रूद्राक्ष की पहचान :*


*रूद्राक्ष पहचाने की कोई असली विधि नहीं है। पौराणिक काल से चली आ रही मान्यताओं के अनुसार कुछ सरल साधन है, जिसे अपनाकर असली रूद्राक्ष को पहचाना जा सकता है।*


 *असली रूद्राक्ष दूध या पानी में नहीं तैरता है, बल्कि वह डूब जाता है। यह भी कहा जाता है कि नकली रूद्राक्ष को धागे में बांधकर प्याज के ऊपर लटकाने से वह घूमने लगता है। असली रूद्राक्ष थोड़ा तैलीय, गोल, अपेक्षाकृत अधिक सख्त, उभरे लेकिन स्पष्ट मुंह वाला और प्राकृतिक रूप से छिद्र लिए हुए होता है।*


*रूद्राक्ष के मुख तथा उनके लाभ : *


*रूद्राक्ष 1 से 38 मुख तक के होते हैं। यहां 1 से लेकर 12 मुखी रूद्राक्ष के बारे में बताया जा रहा है।*


*एक मुखी रूद्राक्ष : एक मुखी रूद्राक्ष सफलताएं, शक्ति, समृद्धि और यश लाने वाला माना जाता है।*


*दो मुखी रूद्राक्ष : दो मुखी रूद्राक्ष ध्यान लगाने में सहायक होता है और व्यक्ति की रोमांटिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाला होता है।*


*तीन मुखी रूद्राक्ष : तीन मुखी रूद्राक्ष स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा के लिए शुभ फलदायक होता है।*


*चार मुखी रूद्राक्ष : चार मुखी रूद्राक्ष सेहत, ज्ञान, बुद्धि और खुशियों की प्राप्ति में सहायक होता है।*


*पंचमुखी रूद्राक्ष : पंचमुखी रूद्राक्ष मन में छिपी इच्छाओं और ज्ञान की पूर्ति के लिए अच्छा होता है।*


*छह-मुखी रूद्राक्ष : छह मुखी रूद्राक्ष शारीरिक शक्ति, वीरता और सफलता दिलाने वाला होता है।*


*सात-मुखी रूद्राक्ष : सात मुखी रूद्राक्ष आंतरिक ज्ञान को बढ़ाने वाला और हर ओर से सम्मान दिलाने वाला होता है।*


*आठ-मुखी रूद्राक्ष : आठ मुखी रूद्राक्ष सभी बाधाओं को दूर कर खुशहाली लाता है।*


*नौ-मुखी रूद्राक्ष : नौ मुखी रूद्राक्ष धन, खुशहाली और पारिवारिक सन्तोश प्रदान करता है।*


*दस-मुखी रूदाक्ष : दस मुखी रूदाक्ष जादू-टोने तथा काले जादू से बचाता है और अच्छा स्वास्थ्य देता है।*


*गग्यारह-मुखी रूद्राक्ष- ग्यारह मुखी रूद्राक्ष वैवाहिक जीवन में खुशियां लाता है और लम्बी आयु प्रदान करता है।*


*बारह-मुखी रूद्राक्ष- बारह मुखी रूद्राक्ष समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान दिलाता है।*


*वर्णन- रूद्राक्ष के पत्ते हरे तथा फूल भूरे रंग के होते हैं। यह एक पहाड़ी पेड़ है। इसके सूखे फलों की माला बनती है। यह गर्म किन्तु किसी-किसी के अनुसार ठंडा होता है।*


*नाम :  हिन्दी व संस्कृत दोनों ही भाषाओं में इसे रूद्राक्ष कहते हैं।*


*गुण : रूद्राक्ष शरीर को शक्तिशाली बनाता है, खून के विकार को दूर करता है। धातु को पुष्ट करता है और कीड़ों को मारता है। लकवे की बीमारी तथा बलगम, खांसी व प्रसूती रोगों को नष्ट करता है।*


*विभिन्न रोगों में सहायक :*


*कफ : बच्चे की छाती में अगर ज्यादा कफ (बलगम) जम गया हो और कफ (बलगम) निकलने की कोई आशा नज़र न आ रही हो तो ऐसे में रूदाक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर 5-5 मिनट के बाद रोगी को चटाने से उल्टी द्वारा कफ (बलगम) निकल जाता है।*


*हृदय रोग : हरे एवं ताजे रुद्राक्ष के फलों को लें, इसका छिलका निकालकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े को थोड़ी-सी मात्रा में कुछ महीने तक सेवन करने से हृदय (दिल) के समस्त रोगों में लाभ होता है।*


*उच्च रक्तचाप :- रूद्राक्ष अच्छी तरह से धोकर रात को 1 गिलास पीने के पानी में डालकर ढक देना चाहिए। फिर सुबह के समय में रूद्राक्ष को निकालकर इस पानी को पी लेना चाहिए। इसके बाद 1 गिलास पानी में रूद्राक्ष डालें व शाम को वह पानी पी लें। इस प्रकार प्रतिदिन यह पानी दिन में 2 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है*