नहीं रहे ‘आंखों को रोशनी देने वाले’ कमलेशजी

गाजियाबाद। वरदान सेवा संस्थान व वरदान नेत्र चिकित्सालय के संस्थापक, समाजसेवी कमलेशजी का आज निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है।


शहर में बेहद सम्मानित कमलेशजी ने 1998 में वरदान नेत्र चिकित्सालय की स्थापना की थी। उस समय गाजियाबाद में आंखों के इलाज के लिए एक भी अच्छा अस्पताल नहीं था। कमलेशजी ने वरदान नेत्र चिकित्सालय की स्थापना कर गाजियाबाद में आंखों के इलाज को सुगम बनाया। वे कहा करते थे कि आंखों का कोई भी रोगी बिना इलाज नहीं रहना चाहिए। आंखों के इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में जहां हजारों रुपए खर्च होते हैं, वहीं वरदान में निशुल्क इलाज किया जाता है।

कमलेशजी का जन्म चांदपुर, बिजनौर के एक व्यापारी परिवार में हुआ था। बचपन में ही वे राष्टï्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और 1961-62 में संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। वे प्रचारक के रूप में पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में संघ के कार्यों के विस्तार करने में लग गए। 1990 में वे उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री बने और उसके बाद प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष नियुक्त किए गए। 1994 में उन्होंने वरदान सेवा संस्थान की नींव रखी। कमलेशजी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश से मोतियाबिंद को खत्म करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए उन्होंने गांवों में नेत्र जांच शिविर लगाए।  2015 में कमलेशजी ने गाजियाबाद में 170 बिस्तरों वाले अस्पताल की स्थापना की। वरदान सेवा संस्थान के अधीन गाजियाबाद में इस वक्त तीन अस्पताल कार्य कर रहे हैं।