देश भर में कितने शाहीन बाग, प्रवर्तन निदेशालय की टीम मंगलवार शाम को शाहीन बाग पहुंची

नई दिल्‍ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ तकरीबन पिछले डेढ़ महीने से शाहीन बाग में प्रदर्शन हो रहे हैं. इन विरोध-प्रदर्शनों को कौन आयोजित कर रहा है? दिल्ली सहित देश के विभिन्न स्थानों पर शाहीन बाग का नाम लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं 


हालांकि इससे पहले  नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हुई हिंसा और प्रदर्शन के बाद खुलासा हुआ था कि इसके पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की फंडिंग है. शाहीन बाग और जामिया के भी 6 ऐसे पते थे जिनके एकाउंट में पीएफआई की ओर से पैसा ट्रांसफर हुआ था. अब इसी मामले की जांच करने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम मंगलवार शाम को शाहीन बाग पहुंच गई है.








प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े सात जिम्मेदार लोगों को भी तलब किया है. फंडिंग के सिलसिले में उनसे पूछताछ़ की जाएगी. सूत्रों के हवाले से खबर है कि पीएफआई और उससे जुड़ी उससे संबंधित संस्थाओं के बैंक अकाउंट से देश में चल रहे सीएए आंदोलन के लिए पैसे दिए गए. जब-जब CAA के खिलाफ प्रदर्शनों ने हिंसक रूप लिया तब-तब PFI से जुड़े खातों में बड़ी राशि जमा हुई.


इस खुलासे में यह बात भी सामने आई है कि पीएफआई को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से फीडिंग हुई है. बता दें कि यह संगठन यूपी समेत 7 राज्यों में सक्रिय है. यह संगठन 2010 से ही सक्रिय है और माहौल खराब करने की कोशिश करता रहा है. गौरतलब है कि यूपी की सरकार इस संगठन को बैन करने के लिए गृह मंत्रालय को पहले ही चिट्ठी लिख चुकी है.


सिफारिश में कहा गया था पीएफआई के कई सदस्य पूर्व में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी (SIMI) के सदस्य रहे हैं. यूपी सरकार ने दावा किया था कि नागरिकता कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में पीएफआई के 22 सदस्य गिरफ्तार किए गए.


पुलिस जांच में सामने आया था कि 19 दिसंबर को किए गए हिंसक प्रदर्शनों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ था. पुलिस ने इन लोगों के पास से भारी मात्रा में भड़काऊ सामग्री बरामद की थी. इसके साथ ही पीएफआई की एक अन्य शाखा सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) भी पुलिस के रडार पर है.


इस्लामिक कट्टरता को बढ़ाने के भी लगते रहे हैं आरोप
पीएफआई खुद को एक गैर सरकारी संगठन बताता है. इस संगठन पर कई गैर-कानून गतिविधियों में पहले भी शामिल रहने का आरोप है. गृह मंत्रालय ने 2017 में कहा था कि इस संगठन के लोगों के संबंध जिहादी आतंकियों से हैं, साथ ही इस पर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने का आरोप है.