हड्डी का टूटना और उसका उपचार

 


*हड्डी टूटने पर घरेलु व होमेओपेथी उपचार*


चोट के कारण किसी भी प्रकार से हड्डी के चटकने को अस्थि भंग(Haddi tutna) के नाम से संबोधित (पुकारा) जाता है।


*अस्थिभंग के प्रकार :*


• कमीन्यूटेड फ्रैक्चर- ऐसा अस्थिभंग जिसमें हड्डी के टुकड़े-टुकड़े हो जाते है, विखण्डित असिथभंग।


• काम्पलीकेटेड फ्रैक्चर- ऐसा अस्थिभंग जिसमें टूटी हुई हड्डी किसी आन्तरिक अंग को क्षति पहुंचाती है जैसे कोई टूटी हुई पसली फेफड़े में घुस जाती है, जटिल अस्थिभंग।


• कम्पाउन्ड फ्रैक्चर- किसी हड्डी के टूटने के साथ बाह्म व्रण का बनना अथवा त्वचा से होकर हड्डी के टुकड़ों का बाहर निकलना, विवृत अस्थिभंग


• डिस्प्लेस्ड फ्रैक्चर- ऐसा अस्थिभंग जिसमें टूटी हुई हड्डियां विस्थापित हो जाती है, विस्थापित अस्थिभंग।


• फिसर्ड फ्रैक्चर- एक दरार जो हड्डी के दूसरी ओर तक नहीं पहुंचती है। दरार अस्थिभंग।


• ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर- ऐसा अस्थिभंग जिसमें हड्डी का कुछ भाग टूट जाता है एवं कुछ मुड़ जाता है जिससे यह टूटी हुई हरी टहनी के समान प्रतीत होती है। इस प्रकार का अस्थिभंग अधिकतर बच्चों में विशेषकर बालास्थिविकार से पीड़ित बच्चों में पाया जाता है। ग्रीन-स्टिक अस्थिभंग।


• इम्पैक्ड फ्रैक्चर- ऐसा अस्थिभंग जिसमें हड्डी का एक टुकड़ा दूसरे में धंस जाता है। संघट्टित अस्थिभंग।


• इन्कम्लीट फ्रैक्चर- ऐसा अस्थिभंग जिसमें अस्थिभंग-रेखा पूरी हड्डी को पार नहीं करती, अपूर्ण अस्थिभंग।


• लाँन्जीट्यूडिनल फ्रैक्चर- किसी हड्डी में लम्बाई में होने वाला अस्थि-भंग।


• मल्टीपल फ्रैक्चर- किसी हड्डी में एक या अधिक स्थानों पर होने वाला अस्थिभंग, बहुल अस्थिभंग।


• ओब्लाईक्यू फ्रैक्चर- किसी हड्डी में तिरछा होने वाला अस्थि-भंग, तिर्यक अस्थिभंग।


• पैथोलाजिक फ्रैक्चर- कुछ रोगों जैसे हड्डी के कैन्सर, किसी प्राथमिक कैन्सर से होने वाले द्वितीयक विक्षेप या स्थलान्तरण, अस्थिमृदृता अथवा अस्थिमज्जाशोथ आदि द्वारा उत्पन्न होने वाली हड्डी की कमजोरी से होने वाला अस्थिभंग; वैकृत अस्थिभंग।


• ट्रांसवर्स फ्रैक्चर- ऐसा अस्थिभंग जिसमें अस्थिभंग रेखा हड्डी के लम्ब अक्ष के समकोणों पर होती है, अनुप्रस्थ अस्थिभंग।


*हड्डी टूटने पर क्या खाएं :*


★ लाल साठी चावल, मटर का सूप, घी, तेल, मधु रसोनकन्द, परवल के पत्ते, सहजन के फल, अंगूर, आंवला ये चीजे अस्थिभंग में खाना चाहिए।


★ अम्ल, लवण, कटु, क्षार और रूखे प्रदार्थ अस्थि भंग के रोगियों के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसी तरह खुली धूप, व्यायाम और मैथुन से भी बचाना चाहिए।


*टूटी हड्डी को शीघ्र जोड़ने हेतु घरेलु उपचार व आयुर्वेदिक नुस्खे :*


*1. दारूहल्दी: दारूहल्दी का चूर्ण  2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से टूटी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।*


*2. गेहूं :*


*• गुड़ में गेहूं का हलुआ बनाकर खाएं। इससे दर्द में लाभ होता है तथा हडि्डयां जल्दी जुड़ती हैं।*


*• 10 ग्राम गेहूं की राख 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से टूटी हुई हडि्डयां जुड़ जाती हैं। यह प्रयोग कमर और जोड़ों के दर्द में लाभकारी होता है।*


*3. मेथी: यदि शरीर के अन्दर के किसी भी भाग की हड्डी टूट गई हो तो मेथी के दानों का सेवन करने से लाभ मिलता है। यह हाथ-पैर के एक-एक जोड़ के दर्द को ठीक करती है।*


*4. पिठवन: लगभग 5 ग्राम पिठवन की जड़ों के चूर्ण को 2 ग्राम हल्दी के साथ 21 दिन तक सेवन करने से हडि्डयों के रोग में लाभ होता है।*


*5. पपीता: हडि्डयां कमजोर हो, दांत कमजोर हो तो रोगी को 1-1 पपीते या अमरूद के रस में आधा-आधा कप गाजर व आंवले का रस मिलाकर दिन में 2 बार पिलाने से लाभ होता है।*


*6. बबूल:*


*• बबूल के बीजों को पीसकर तीन दिन तक शहद के साथ लेने से अस्थि भंग दूर हो जाता है और अस्थियां मजबूत हो जाती हैं।*


*• बबूल की फलियों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से टूटी हड्डी शीघ्र ही जुड़ जाती है।*


*7. अशोक: अशोक की छाल का चूर्ण 6 ग्राम तक दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से तथा ऊपर से इसी का लेप करने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है और दर्द भी शान्त हो जाता है।*


*8. पानी: आघात वाले स्थान पर ठंडे पानी की फुहार देना चाहिए।*


*9. तिल: ताजा निकाले हुए तिल को चोट की जगह पर हल्के से लगाने से लाभ मिलता है।*


*10. लघुपंचमूल: लंघुपंचमूल को 100 मिलीलीटर दूध या पानी में उबालकर हल्के-हल्के गर्म स्वरूप में चोट लगे स्थान पर धारा गिरा कर देना चाहिए।*


*11. मजीठ:*


*• मजिष्ठा और मधुयष्टि के मूल को बराबर की मात्रा में लेकर कांजी व घी में मिलाकर लेप यानी प्लास्टर लगाना चाहिए। इससे टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।*


*• मजीठ, अर्जुन, मुलेठी और सुगन्धबाला का मिश्रित लेप करने और इन्ही औषधियों के काढ़े का सेवन करने से हड्डी जल्दी एक दूसरे से जुड़ जाती है। केवल मजीठ के साथ मुलहठी पीसकर लेप किया जाये तो भी दर्द एवं सूजन खत्म होती है।*


*• मजीठ की जड़, महुए की छाल और इमली के पत्ते सभी समान मात्रा में मिलाकर पीस लें, इसे गुनगुना गर्मकर टूटी हड्डी के ऊपर लगाएं और बांध लें। इससे टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।*


*• मजीठ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हड्डी की पुष्टि होती है। टूटी हड्डी भी शीघ्र जाती है।*


*12. सुगंधबाला: सुगन्धबाला की फांट का सेवन करने से अस्थिभंग में लाभ होता है।*


*13. पृश्निपर्णी (पिठवन): पृश्निपर्णी (पिठवन) के मूल का चूर्ण आधा से 10 ग्राम मांस रस के साथ 21 दिन तक खाने से लाभ मिलता है।*


*14. काली मूसली: कालीमूसली का फल पीसकर चोट-मोच या हड्डी टूटने पर लेप करने से लाभ होता है।*


*15. अर्जुन: अस्थिभंग पर अर्जुन की छाल पीसकर लेप करने एवं 5 ग्राम से 10 ग्राम खीर पाक विधि से दूध में पकाकर सुबह शाम खाने से लाभ होता है। इसका सूखा पाउडर 1 से 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए।*


*16 . गेहूं के दाने के बराबर चुना दूध छोड़कर किसी भी तरल पेय में मिलाकर पिएं।*


*होमेओपेथी के द्वारा*


 सिर में चोट लगने पर - (आर्निका 200, 3 खुराक फिर बाद में नैट्रम सल्फ़ 200 की कुछ खुराक)


अचानक चोट लगना, लड़ाई - झगड़ा, मारपीट के बाद - (आर्निका 200 या 1M की 3 खुराक, आर्निका Q चोट वाले जगह पर लगायें)


चोट के कारण जख्म; यदि जख्म बड़ा हो तो डॉक्टर से टांके लगवाएं - (फैरम फ़ॉस 1X या 3X का पाऊडर जख्म पर छिड़क कर कैलेंडुला Q से पट्टी करें)


खून (चोट आदि के कारण) बहना रोकने के लिए- बर्फ या ठंडे पानी की पट्टी बांधनी चाहिये - (कैलेंडुला Q ठंडे पानी में मिलाकर पट्टी करें)


 तेज चाकू, छुरी आदि से कटने के कारण खून बहना रोकने के लिए - (स्टेफिसेगिरिया Q की पट्टी करें व 30, खाएं)


नसों की चोट व सुई, पिन व कील आदि चुभने से जब खून कम निकले मगर दर्द ज्यादा हो - (हाइपैरिकम Q की पट्टी करें व 200 पोटेन्सी दिन में 3 बार खायें)


हड्डी टूटने पर x-ray करा कर प्लास्टर अवश्य करायें व साथ में खाएं - (सिम्फाइटम 3X या 6, दिन में 3 बार, साथ में कल्केरिया फ़ॉस 6X दिन में 3 बार)


 जब चोट या भय के कारण रोगी बेहोश हो जाये एवं शरीर ठंडा हो जाये - (कैम्फर Q, 5-5 बूंद 10 मिनट पर)


मोच आना - (आर्निका 200 की 2-3 खुराक, बाद में रूटा 30, दिन में 3 बार)


 एलोपैथी हार मान जाए तो


अर्निका
रूटा
रहोस्टऑक्स
सिम्फायटम
हैपेरिकम
कैल्केरिया फॉस
ब्रायोनिया


रोग नया हो तो 200ch की व पुराना हो तो 1000ch की बराबर मात्रा में लेकर एक मे मिलाकर मिली दवा की 2 2 बूंद दिन में 2 से 3 बार