त्वचा रोगों में सबसे खतरनाक है खाज खुजली रोग

खाज-खुजली 
परिचय :
          अगर हमारे शरीर में कहीं भी कुछ हलचल हो रही है या ऐसा लग रहा हो कि कुछ काट रहा है तो हम शरीर के उस हिस्सें को हाथों से रगड़ देते हैं तो हमें थोड़ी शान्ति मिलती है इसे ही खाज-खुजली कहते हैं। यह ``सारकोप्टीस स्केवी´´ नाम के रोगाणु से फैलती है और यह मुख्यत: दो तरह की होती है- तर (गीली) और सूखी।


कारण :
         गर्मी के मौसम में शरीर में बहुत ज्यादा पसीना आता है और जब यह पसीना त्वचा पर सूख जाता है तो खुजली पैदा हो जाती है। बाहर निकलने पर जब धूल-मिट्टी शरीर पर लगती है तो भी खुजली पैदा हो जाती है। रोजाना न नहाना भी खुजली होने का बहुत बड़ा कारण है। सर्दी के मौसम में ठंड़ी हवा जब शरीर में लगती है तो शरीर की त्वचा सूखकर खुरदरी सी हो जाती है और उसमें तेज खुजली होने लगती है ज्यादा जोर से खुजालने पर त्वचा में निशान से पड़ जाते हैं और उनमें तेज जलन होती है। खुजली एक फैलने वाला रोग है। घर के अन्दर अगर किसी एक व्यक्ति को खुजली हो जाती है तो उसके साथ वाले सारे लोग भी खुजली के शिकार हो जाते हैं।


लक्षण :
         खुजली बहुत तेजी से फैलने वाला त्वचा का रोग है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में छोटी-छोटी फुंसिया निकल जाती है। यह फुंसिया हाथ-पैरो में, उंगलियों में, कलाई के पीछे के भाग में और बगल में ज्यादा निकलती है और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाती है। यह अक्सर लाल रंग के निशान के रूप में दिखाई देती है। यह खराब चीजों को छूने से, गलत इंजैक्शन के लग जाने के कारण या संक्रमण होने के कारण हो जाती है।


विभिन्न औषधियों से उपचार-


1. संतरा : संतरे के छिलकों को चटनी की तरह पीसकर शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर लगाने से आराम आता है।


2. तिल्ली :


तिल्ली के तेल और चमेली के तेल को बराबर मात्रा में लेकर खुजली वाली जगह पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
250 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में थोड़ी सी दूब (घास) डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। दूब (घास) जब लाल हो जाये तो उसे उतार कर छान लें और इस तेल को खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।
3. हरड़ :


चकबड़, हरड़ और कांजी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
दूब, हरड़, सेंधानमक, चकबड़ और वनतुलसी को लेकर अच्छी तरह से पानी के साथ पीस लें। इसे खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली कुछ ही समय में ठीक हो जाती है।
2 चम्मच पिसी हुई हरड़ को 2 गिलास पानी में उबालकर छान लें। इस पानी के अन्दर रुमाल को भिगोकर शरीर में जहां पर भी खुजली हो उस भाग को साफ करने से खुजली होना बन्द हो जाती है।
4. सिंघाड़ा : 10-10 ग्राम सिंघाड़ा, भिंगी की जड़, झाऊबेर और भारंगी की जड़ को एकसाथ मिलाकर पीस लें। फिर इसमें से 10 ग्राम मिश्रण को 1 कप पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी उबलते हुए आधा बाकी रह जाये तो इसे पी लें। 7-8 दिन तक लगातार यह पानी पीने से खुजली की फुंसिया दूर हो जाती है।


5. आंवला : आंवले की गुठली को जलाकर राख बना लें फिर उसमें नारियल का तेल मिलाकर, गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है।


6. सरसों का तेल :


सर्दी के मौसम में ठंड़ी हवा लगने के कारण जब त्वचा सूखी हो जाती है तो उसमें खुजली पैदा हो जाती है। इसको दूर करने के लिये पूरे शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करें और गुनगुने पानी से नहा लें। इससे कुछ ही समय में खुजली दूर हो जाती है।
सरसों के तेल में पानी और चूने को मिलाकर लेप करने से खुजली बिल्कुल समाप्त हो जाती है।
7. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है।


8. अजवायन :


20 ग्राम अजवायन को 100 मिलीलीटर पानी में उबाल लें और छान लें। शरीर में जहां पर खुजली हो उस भाग को इस पानी से साफ करने से खुजली मिट जाती है।
हल्के गर्म पानी के अन्दर अजवाइन पीसकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है।
जंगली अजवायन को तेल में पका लें और उस तेल को खुजली वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
9. तुलसी : तिल्ली के तेल में तुलसी का रस मिलाकर लगाने से कुछ ही दिनों में खुजली दूर हो जाती है।


10. आंवले : 100 मिलीलीटर चमेली के तेल में 25 मिलीलीटर आंवले का रस मिलाकर शीशी में भरकर रख लें। इसे दिन में 4-5 बार खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।


11. दही : शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर दही को लगाने से खुजली दूर हो जाती है।


12. सिरस :


सिरस के बीजों को पीसकर चंदन की तरह त्वचा पर लगाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
सिरस की छाल को पानी में पीसकर दाद पर रोजाना सुबह-शाम लेप करें। इसके फूलों को पीसकर किसी भी शर्बत में 1 चम्मच मिलाकर पीयें। इससे खून साफ होता है और दाद दूर हो जाता है।
13. पित्तपापड़ा : 50 से 100 मिलीलीटर पित्तपापड़ा (शहतरा) के रस को सुबह और शाम पीने से हर प्रकार का रक्तदोष (खून की खराबी) दूर हो जाता है और खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी आदि समाप्त हो जाते हैं। यह त्वचा के रंग में भी चमक लाता है।


14. काकड़ासिंगी : काकड़ासिंगी को पीसकर लेप करने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।


15. शहद : 6 ग्राम से 10 ग्राम गर्म पानी में शहद मिलाकर 45 से 60 दिन तक लगातार पीने से हर प्रकार के चमड़ी के रोग, लाल चकते (निशान) और खाज-खुजली ठीक हो जाते हैं। यहां तक की यह कोढ़ (कुष्ठ) के रोग में भी आराम पहुंचाता है।


16. त्रिफला : 20 से 90 मिलीलीटर त्रिफला के रस को रोजाना 4 बार पीने से खून साफ हो जाता है और खाज-खुजली के साथ त्वचा के दूसरे रोग भी दूर हो जाते हैं।


17. पीपल :


पीपल की छाल को पीसकर देसी घी के अन्दर मिला लें और इसे खुजली वाली जगह पर लगायें। इससे खुजली जल्द ही दूर हो जाती है।
खाज, खुजली के रोग में 50 ग्राम पीपल की छाल की राख तथा जरूरत के अनुसार चूना और घी मिलाकर अच्छी प्रकार से खरल करके लेप करने से लाभ होता है।
पीपल की छाल का 40 मिलीलीटर काढ़ा रोजाना सुबह-और शाम को रोगी को पिलाने से खुजली मिट जाती है।
18. कूठ : 20 ग्राम कूठ के चूर्ण को मक्खन में मिलाकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है।


19. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीसकर उसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस मिला लें। इसमें 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप करने से खुजली मिट जाती है।


20. सुहागा : सुहागे को तवे पर भूनकर उसका पानी शरीर पर मलने से खुजली में लाभ होता है।


21. टमाटर :


रोजाना शाम को 50 ग्राम लाल टमाटर का रस पीने से त्वचा का रूखापन मिट जाता है और खुजली भी दूर हो जाती है।
1 चम्मच टमाटर का रस और 2 चम्मच नारियल का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने और फिर गर्म पानी से नहाने से खुजली मिट जाती है।
22. नींबू :


केले के गूदे को नींबू के रस में मिलाकर खुजली वाली जगह पर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।
20 मिलीलीटर नींबू के रस में 25 ग्राम मुलतानी मिट्टी और 10 ग्राम कालीमिर्च को पीसकर उसका लेप करने से खुजली मिट जाती है।
चमेली के तेल में बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाकर शरीर पर मालिश करने से सूखी खुजली दूर हो जाती है।
चंदन के तेल में नींबू का रस मिलाकर खुजली वाली जगह पर रोजाना 6-7 बार लगाने से खुजली में आराम आता है।
अगर शरीर में दाद, खुजली, गंज हो तो केले के गूदे को पीसकर नींबू के रस में मिला लें और लगायें। इससे खुजली दूर हो जाती है।
23. नारियल :


नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर मालिश करने या नींबू को वैसे ही चूसने से खुजली मिट जाती है।
10 ग्राम पिसी हुई गंधक को 100 मिलीलीटर नारियल के तेल में मिलाकर कई बार खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
20 मिलीलीटर नारियल के तेल में 10 मिलीलीटर नींबू के रस को मिलाकर लेप करने से खुजली ठीक हो जाती है।
100 मिलीलीटर नारियल के तेल को थोड़ा सा गर्म करके उसमें 10 ग्राम कपूर को मिलाकर लगाने से खुजली तुरन्त ही मिट जाती है। कपूर में त्वचा को सुन्न करने का गुण मौजूद होता है।
50 मिलीलीटर नारियल के तेल में 10 ग्राम कपूर को मिलाकर शरीर पर लेप करने से खुजली मिट जाती है।
50 मिलीलीटर नारियल के तेल में नींबू के रस को मिलाकर मालिश करने से खुजली में आराम होता हैं।
24. आक :


आक के फूलों का गुच्छा तोड़ने पर जो दूध निकलता है उसमें नारियल का तेल मिलाकर त्वचा पर लगाने से खुजली जल्दी दूर हो जाती है।
100 मिलीलीटर आक का दूध, 400 मिलीलीटर तिल या सरसों का तेल, 200 मिलीलीटर हल्दी चूर्ण और 15 ग्राम मैनसिल ले लें। पहले मैनसिल और हल्दी को पानी में पका लें। फिर दूध मिलाकर लेप सा बना लें। अब इसमें तेल और 2 लीटर पानी मिलाकर गर्म कर लें। इस तेल को लगाने से खाज-खुजली, पामा आदि चर्म रोग दूर हो जाते हैं, इसे अर्श (बवासीर) के मस्सो पर बराबर लगाने से वह सूखकर झड़ जाते हैं।
10 मिलीलीटर आक (मदार) के दूध में 50 मिलीलीटर सरसों का तेल मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते-पकते दूध जल जाये तो इसे आग पर से उतारकर बचे हुये तेल से शरीर पर मालिश करने से कुछ ही समय में खुजली बिल्कुल दूर हो जाती है।
1 लीटर आक के पत्तों का रस, 50 ग्राम हल्दी का चूर्ण और आधा किलो सरसों के तेल को हल्की आग पर पका लें। पकने पर सिर्फ तेल शेष रहने पर छानकर शीशी में भर लें। इसकी मालिश से खाज-खुजली आदि रोग दूर हो जाते हैं। यह 2-4 बूंदे कान में टपकाने से कान का दर्द भी मिट जाता है।
1 लीटर आक (मदार) के ताजे पत्तों का रस, 2 लीटर गाय का दूध, 6-6 ग्राम सफेद चंदन, लाल चंदन, हल्दी, सोंठ और सफेद जीरा को एकसाथ पीसकर चूर्ण बनाकर 1 किलाग्राम घी में पकाएं। पकने पर सिर्फ घी शेष रहने पर छानकर रख लें। इसकी मालिश करने से खुजली-खाज आदि रोग दूर हो जाते हैं।
10 लीटर आक के दूध को 50 लीटर सरसों के तेल में पका लें। सिर्फ तेल बाकी रहने पर या दूध के जल जाने पर इसे सुरक्षित रख लें। इस तेल की दिन में 2 बार मालिश करें और 3 घंटे तक स्नान न करें। इससे कुछ दिनों में ही खुजली पूरी तरह से दूर हो जाती है।
आक के 21 पत्तों को 125 लीटर सरसों के तेल में जलाकर फिर उसमें थोड़ा मैनसिल घोट कर रख लें। इसकी मालिश से भी खुजली में पूरा लाभ होता है।
आक का दूध छाया में सुखाकर व कड़वे तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली आदि रोगों में लाभ होता है।
आक (मदार) के 10 सूखे पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर जला लें। फिर इस तेल को छानकर ठंड़ा होने पर इसमें कपूर की 4 टिकियों का चूर्ण अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भर लें। इस तेल को खाज-खुजली वाले अंगो पर रोजाना 3 बार लगाने से लाभ होता है।
25. कपूर :


कपूर को चमेली के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से खुजली दूर हो जाती है।
10 ग्राम कपूर, 10 ग्राम सफेद कत्था और 5 ग्राम सिंदूर को इकट्ठा करके कांसे के बर्तन में डालें और उसमें ऊपर से 100 ग्राम घी डालकर हाथ से मसलकर उसे 121 बार पानी से धोये। इस मरहम को शरीर में खुजली वाले भागों तथा सडे़ गले जख्मों पर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।
26. गेहूं : गेहूं के आटे का लेप करने से चर्मरोग (त्वचा के रोग), चर्मदाह (त्वचा में जलन), मवाद वाले फोड़े-फुन्सी और आग से जले हुए जख्म ठीक हो जाते हैं।


27. लहसुन :


लहसुन को तेल में उबालकर शरीर पर लेप करने से खुजली ठीक हो जाती है। लहसुन को खाने से खून भी साफ होता है।
लहसुन की कली को पीस लें और राई के तेल में उबालकर छान लें। इस तेल से मालिश करने से त्वचा की खुजली दूर होती है।
28. चना : बिना नमक के चने के आटे की रोटी को 64 दिन तक लगातार खाने से दाद, खुजली आदि त्वचा के रोग मिट जाते हैं।


29. अरहर :


अरहर की दाल को दही के साथ पीसकर त्वचा पर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।
अरहर के पत्तों को जलाकर उसकी राख को दही में मिलाकर लगाने से खुजली मिट जाती है।
30. दूध :


दूध के अन्दर पानी मिलाकर रूई के फाये से शरीर पर मल लें और थोड़ी देर के बाद नहा लें। इससे खुजली दूर हो जाती है।
31. तिल : 250 मिलीलीटर तिल के तेल में लगभग 63 मिलीलीटर दूब का रस डालकर आग पर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद इसे उतारकर ठंडा कर लें और छानकर 7 दिन तक इसकी मालिश करने से शरीर का कोई भी त्वचा से सम्बंधित रोग ठीक हो जाता है।


32. लालमिर्च : शोथ (सूजन), खुजली और त्वचा के रोगों में लाल मिर्च में पकाया हुआ तेल लगाने से लाभ होता है। बारिश के मौसम में होने वाली फुन्सियों के लिये यह बहुत ही लाभदायक है।


33. जमीकन्द : जमीकन्द की सब्जी खाने से खुजली पूरी तरह से ठीक हो जाती है।


34. सौंफ : सौंफ और धनिये को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसमें डेढ़ गुना घी और 2 गुना चीनी मिलाकर रख लें। इसको सुबह और शाम 30-30 ग्राम की मात्रा में खाने से हर तरह की खुजली दूर होती है।


35. फिटकरी :


गर्म पानी में फिटकरी मिलाकर उससे जनेनेन्द्रियों को धोने से जनेनेन्द्रियों की खुजली दूर हो जाती है।
पिसी हुई फिटकरी को आधा कप गर्म पानी में घोलकर पित्ती निकली हुई जगह पर लगाने और धोने से पित्ती के रोग में लाभ मिलता है। इससे जुएं, खुजली, जलन तथा चकत्ते भी दूर हो जाते हैं।
36. परवल : खुजली होने पर परवल की सब्जी खाने से लाभ होता है।


37. गुड़ : जिन व्यक्तियों को रक्तविकार (खून में खराबी) हो उन्हें चाय, दूध, लस्सी आदि में चीनी की जगह गुड़ का सेवन करना चाहिये। ऐसा करने से खून साफ होकर खुजली दूर होती है।


38. मूंग : मूंग की दाल को छिलके के साथ इतने पानी में भिगो लें कि दाल उस पानी को अपने अन्दर सोख लें। 2 घंटे तक दाल को भीगने के बाद उसे पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम आता है।


39. बथुआ :


बथुए को रोजाना उबालकर और निचोड़कर इसका रस निकालकर पी लें और सब्जी खा लें। इसके पानी से त्वचा को धोने से भी खुजली में लाभ होता है।
4 भाग कच्चे बथुए के रस और 1 भाग तिल के तेल को मिलाकर गर्म कर लें। गर्म करने पर जब रस जलकर सिर्फ तेल रह जाये तो उस तेल को ठंड़ा करके उसकी मालिश करने से खुजली दूर हो जाती है।
40. मीठे फल : जिन लोगों को खुजली का रोग हो उन लोगों को टॉफी, मिठाई जैसी चीनी से बनी हुई चीजों के स्थान पर मीठे फल खाने से खुजली ठीक हो जाती है।


41. हारसिंगार : हारसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर लगाने और दही में सोनागेरू घिसकर रोगी को पिलाने से खुजली कुछ ही समय में समाप्त हो जाती है। इसके अलावा हारसिंगार के पत्तों को दूध में पीसकर लेप करने से भी खुजली में लाभ मिलता है।


42. मालकांगनी : मालकांगनी के बीजो को गोमूत्र (गाय के पेशाब) में पीसकर रोजाना शरीर के खुजली वाले भाग पर लगाने से खुजली में लाभ मिलता है।


43. आम :


आम के कच्चे फलों को तोड़कर (जिनमें जाली न पड़ी हो), कुचलकर कपड़े में छानकर रस निकाल लें। रस के चौथाई भाग को स्प्रिट या खालिश देशी शराब मिलाकर शीशी में भरकर रखें। इसे 2 दिन बाद प्रयोग करें। इसके लगाने से पुरानी दाद, चम्बल आदि त्वचा के रोग मिट जाते हैं। गहरे से गहरे नासूर भी इसे दिन में 2 बार लगाने से दूर होते हैं। इसे रूई की फुहेरी से लगाने से फूटी हुई कंठमाला, भगन्दर, पुराने फोड़े आदि जड़ से दूर हो जाते हैं। इसे लगाने से बवासीर के मस्से भी सूख जाते हैं।
आम को तोड़ते समय, आमफल की पीठ में जो गोंदयुक्त रस निकलता है उसे दाद पर खुजलाकर लगा देने से फौरन छाला पड़ जाता है और फूटकर पानी निकल जाता है। इसे रोजाना 2-3 बार खुजली वाली जगह पर लगाने से खुजली से छुटकारा मिल जाता है।
44. धनिया : खुजली अक्सर सफाई न रखने पर, शरीर में पसीने के मरने पर या फिर छूत के कारण होती है। इसमें पहले छोटे-2 दाने निकलते हैं फिर उन दानों में खुजली मचने लगती है। इन दानों को खुजलाने से त्वचा छिल जाती है और कभी-कभी बड़ा दर्द होता है। इस दशा से बचने के लिए वैसलीन में, गंधक और धनिया पीसकर तथा कपडे में छान करके मिला लें। इस मलहम को खुजली वाले स्थान पर दिन में 3-4 बार लगाने से काफी आराम मिलता है।


45. मिर्ची : मिर्च के बीज के चूर्ण को सरसों के तेल में मिलाकर लेप करने से खुजली में लाभ मिलता है।


46. जीरा : जीरे को पानी में उबालकर, उस पानी से नहाने से शरीर की खुजली और पित्ती मिट जाती है।


47. चीनी : चीनी व चीनी से बनी चीजों जैसे टाफियां, मिठाइयों आदि का सेवन बन्द कर देने से भी खुजली ठीक हो जाती है।


48. दूधी : 20 ग्राम ताजी या सूखी हुई दूधी को बारीक पीसकर इसमें 10 ग्राम मक्खन घोल लें। इसका लेप जहां पर शरीर में खुजली हो वहां पर करें और 4 घंटे बाद साबुन से धो डाले। इसके कुछ दिनों के सेवन से ही सभी प्रकार की खुजली दूर हो जाती है।


49. कागजी नीबू : 10 ग्राम बादाम की गिरी के तेल में 6 ग्राम कागजी नींबू का रस डालकर शरीर पर मलने और गर्म पानी से स्नान करने से खुजली दूर हो जाती है।


50. मूली : मूली के बीजों को पीसकर, उसमें नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद और खुजली नष्ट हो जाती है।


51. चित्रक : लाल चित्रक के दूध का लेप करने से खुजली मिट जाती है।


52. कालीमिर्च :


कालीमिर्च और गंधक को बारीक पीसकर घी में अच्छी तरह खरल करके शरीर पर लगाकर धूप में बैठने से खुजली मिट जाती है।
10 दाने कालीमिर्च के पीसकर 1 चम्मच घी में मिलाकर रोजाना 2 बार सेवन करने से हर प्रकार की खुजली और जहर का असर खत्म हो जाता है।
10 ग्राम गंधक और 5 ग्राम कालीमिर्च को लेकर बारीक पीसकर शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर कई बार लगाने से आराम आता है।
कालीमिर्च को तेल में पकाकर रोजाना 2-3 बार खाज-खुजली वाले भागों पर लगाने से लाभ होता है।
53. अड़ूसा : अड़ूसा के नर्म पत्ते और आम्बा हल्दी को गाय के पेशाब में पीसें और उसका लेप करने से खुजली दूर हो जाती है। इसके अलावा अड़ूसे के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से स्नान करने से खुजली मिट जाती है।


54. गिलोय :


हल्दी को गिलोय के पत्तों के रस के साथ पीसकर खुजली वाले अंगों पर लगाने से और 3 चम्मच गिलोय का रस और 1 चम्मच शहद को मिलाकर सुबह-शाम पीने से खुजली पूरी तरह से मिट जाती है।
गिलोय के पत्तों के रस में हल्दी मिलाकर शरीर पर लेप करने से खुजली दूर होती है और त्वचा का सौंदर्य भी बढ़ता है।
55. गोमा : गोमा के ताजे रस को खुजली वाली जगह पर मलने से खुजली में आराम आता है।


56. करंज : करंज के तेल में कपूर या नीबू का रस मिलाकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।


57. अजवाइन :


त्वचा के रोग और जख्मों पर अजवाइन का गाढ़ा लेप करने से दाद, खुजली, कृमियुक्त व्रण (कीड़ों के कारण होने वाले जख्म) एवं शरीर के जले हुए भाग ठीक हो जाते हैं।
अजवायन को उबलते हुए पानी में डालकर घावों को धोने से दाद, फुन्सी, गीली खुजली आदि त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
58. करौदा : कड़वे करौदे की जड़ को पानी या तिल के तेल में घिसकर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।


59. चमेली : चमेली के तेल, नींबू के रस और गुलाब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर लगाने से आराम मिलता है।


60. अमरबेल :


अमरबेल को पीसकर लेप करने से खुजली मिट जाती है।
अमरबेल को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले भागों पर लगाने से आराम मिलता है।
अमरबेल के पत्तों को छाछ में पीसकर लेप करके कुछ देर बाद नहाने से खुजली दूर हो जाती है।
61. खजूर : खजूर या छुहारे की गुठली को जलाकर उसकी राख में कपूर और घी मिलाकर लगाने से खुजली मिट जाती है।


62. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी के फूलों को पीसकर लेप करने से खुजली में लाभ होता है।


63. नींबू :


नींबू के रस और सरसों या तिल के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर खुजली से पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर मालिश करने के बाद नहलाने से और रोजाना उपयोग में आने वाले कपड़ों को गर्म पानी और साबुन से धोने से खुजली का रोग मिट जाता हैं।
नींबू को काटकर 2 भाग कर लें। फिर इसमें सेंधानमक भरकर सुखा दें। सूख जाने पर इसे पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के सेवन से वातरक्त और खुजली में लाभ मिलता है।
64. बिजौरा नींबू : गंधक को बिजौरा नींबू के रस में मिलाकर लगाने से खुजली मिट जाती है।


65. नींबू जम्भीरी : नींबू जम्भीरी के रस में गंधक मिलाकर गीली खुजली वाले भाग पर लगाने से आराम मिलता है।


66. भांगरा : 10 ग्राम भांगरा के पत्ते, 10 ग्राम जवासा, 60 ग्राम चिरायता और 60 ग्राम शरपुंखा को पानी में पीसकर और छानकर इसमें 20 ग्राम शहद मिलाकर रोजाना 3 बार सेवन करने से शरीर की खुजली नष्ट हो जाती है तथा शरीर निरोगी हो जाता है।


67. सौंफ : सौंफ और धनिये को एकसाथ मिलाकर थोड़ी सी मात्रा में पीस लें। फिर इसमें डेढ़ गुना घी और दोगुना शक्कर मिलाकर रखें। इसे सुबह-शाम 30-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से हर तरह की खुजली दूर हो जाती है।


68. पवांड़ (चक्रमर्द) :


1 किलो पवांड के बीजों को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर किसी चिकनी मिट्टी के बर्तन में, 5 किलो छाछ (मट्ठे) में मिलाकर अच्छी तरह बांधकर जमीन के नीचे दबा दें। 6 दिन बाद इसे निकालकर शरीर में खाज या खुजली वाले भाग पर लगाने से खाज और खुजली पूरी तरह से दूर हो जाती है।
50 ग्राम पवांड के बीजों को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर 1 लीटर गाय के दूध के मट्ठे में 3 दिन भिगोकर त्वचा पर लगाने से खाज खुजली, मुंह की झाईयां आदि के रोग में आराम मिलता है।
पवांड के बीजों को गाय के पेशाब में 7 दिन तक भिगोकर छाया में सुखाकर पाउडर बनाकर रखें। इस 1 से 2 ग्राम पाउडर को सुबह और शाम ताजे पानी के साथ लेने से सभी प्रकार के चर्मरोग (त्वचा के रोग), कुष्ठ (कोढ़), दाद, खाज-खुजली आदि के रोगों में लाभ पहुंचता है।
69. परवल : परवल की सब्जी खाने से खुजली, कोढ़, खून की खराबी, आंखों की बीमारियां और पेट के कीड़े दूर होते हैं। पुराने बुखार में भी परवल अधिक लाभदायक साबित होता है।


70. अपामार्ग :


अपामार्ग के पांचों अंगों की समान मात्रा को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों में खुजली दूर हो जाती है।
अपामार्ग के काढ़े से स्नान करने पर खुजली दूर हो जाती है।
71. पपीता : पपीते का दूध और सुहागा को उबलते पानी में डालकर शरीर पर लेप करने से दाद और खुजली आदि मिट जाते हैं।


72. अफीम : अफीम को तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली मिट जाती है।


73. टमाटर : 2 चम्मच नारियल का तेल और 1 चम्मच टमाटर का रस मिलाकर मालिश करें। उसके बाद गर्म पानी से स्नान करने से खुजली में लाभ होता है।


74. बरगद : बरगद के आधा किलो पत्तों को पीसकर 4 लीटर पानी में रात के समय भिगोकर सुबह ही पका लें। पकने पर 1 किलों पानी बचने पर इसमें आधा किलो सरसों का तेल डालकर दोबारा पकायें, तेल बचने पर छान कर रख लें। इस तेल की मालिश से गीली और सूखी दोनों प्रकार की खुजली दूर हो जाती है।


75. अनार : मीठे अनार के 8-10 ताजे पत्तों को पीसकर उसमें थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर मालिश करने से खुजली रोग में आराम हो जाता है।


76. हल्दी :


100 ग्राम वासा (अडू़सा) के मुलायम पत्तों और 10 ग्राम हल्दी को गाय के पेशाब में मिलाकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है।
शरीर पर खुजली के वो दाने जिनमें मवाद भरी हो और जो दिखने में बिल्कुल पीले हों उनको दूर करने के लिए 1 चम्मच हल्दी को 1 कप गर्म दूध में मिलाकर फिर उसमें चौथाई चम्मच देशी घी और स्वाद के लिए शक्कर डालकर सुबह शाम पीना चाहिए।
250 मिलीलीटर सरसों के तेल में 500 मिलीलीटर दूब का रस और 250 ग्राम हल्दी को पीसकर लोहे की कड़ाही में डालकर मिला लें तथा गर्म करें। जब यह उबलने लगे तो इसे छानकर बोतल में भर लें। खुजली होने पर इसे लग कर मलने से खुजली कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है।
2 ग्राम हल्दी के चूर्ण को गाय के पेशाब के साथ या 10 ग्राम हरिद्राखण्ड को कुछ दिनों तक रोजाना खाने से खाज और खुजली कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाती है।
77. आमाहल्दी : शरीर में जहां पर खाज-खुजली हो वहां पर आमाहल्दी को पीसकर लगाने से आराम आता है।


78. वनहल्दी : वनहल्दी का लेप करने से खाज-खुजली कुछ ही समय में दूर हो जाती है।


79. कुसुम : असली कुसुम का तेल लगाने से खाज-खुजली जल्दी ठीक हो जाती है।


80. यवक्षार : शरीर में जहां पर खुजली हो उस स्थान को यवक्षार के घोल से साफ करने से लाभ होता है।


81. कनेर :


किसी भी तरह के त्वचा के रोग जैसे खाज-खुजली, कण्डु, फोड़े-फुन्सी आदि होने पर कनेर (कनैल) लाल या सफेद फूल वाली जाति की जड़ को तेल में मिलाकर लगाने से यह रोग दूर हो जाते हैं।
कनेर के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) से बने तेल को लगाने से भी त्वचा के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
कनेर के पत्तों को कड़वे तेल में भूनकर शरीर पर मलने से खुजली शान्त हो जाती है।
100 ग्राम कनेर के पत्ते, जड़, फूल और तने को बराबर मात्रा में मिलाकर 500 मिलीलीटर सरसों के तेल में पकाएं। जब तेल आधा बचा रह जायें तो छानकर शीशी में भर लें। इसका प्रयोग करते रहने से सभी प्रकार की खुजली दूर होती है और अनेक प्रकार के त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
82. चकबड़ : चकबड़ (पवांड़) के बीज को मूली के पत्तों के साथ या नींबू के रस के साथ पीसकर लगाने से खाज-खुजली बिल्कुल ठीक हो जाती है।


83. राल : 40 ग्राम राल, 40 ग्राम मोम, 40 मिलीलीटर तिल का तेल और 30 ग्राम घी को एकसाथ मिलाकर गर्म कर लें और लेप बना लें। इस लेप को शरीर में खाज और खुजली वाले भाग पर लगाने से लाभ होता है।


84. नागकेसर : पीला नागकेसर के तेल को लगाने से खाज और खुजली जल्द ही दूर हो जाती है।


85. नीम :


नीम के बीज के तेल में आक (मदार) की जड़ को पीसकर लगाने से चाहे जितनी भी पुरानी खाज और खुजली हो वो मिट जाती है।
नीम के काढ़े से नहाने से या उसके पत्तों को पीसकर शरीर में जहां पर खुजली हो उस स्थान पर लगाने से लाभ होता है। नीम के पत्तों से बने घी को खाने से भी खुजली पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
25 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस को रोजाना पीने से खुजली ठीक हो जाती है।
रोजाना सुबह 25 मिलीलीटर नीम के पानी का रस पीने से खून साफ होता है और खुजली भी दूर होती है।
रक्तविकार (खून की खराबी) से पैदा हुई खुजली को दूर करने के लिये 6 ग्राम नीम के पत्ते और 10 दाने कालीमिर्च के पीसकर खाने चाहिये।
खुजली होने पर नीम की छाल को घिसकर पानी के साथ लगाने से लाभ होता है।
थोड़े से नीम के पत्तों को पानी में डालकर उबाल लें। 8 से 10 दिन तक इस पानी से स्नान (नहाना) करने से हर प्रकार की खुजली दूर हो जाती है।
खुजली की वजह से शरीर में जख्म बन जाने या फोड़े-फुंसियों के कारण खुजली होने पर नीम की छाल को पानी के साथ घिसकर लगाने से आराम आता है।
10 ग्राम कत्थे की छाल, 10 ग्राम नीम और 10 ग्राम जामुन की छाल को 50 ग्राम गाय के पेशाब के साथ पीसकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है। अगर गाय का पेशाब न भी मिले तो पानी का उपयोग कर सकते हैं।
नीम या नीम की निंबोली के तेल को खुजली वाले स्थान पर 15-20 दिन तक लगाने से खुजली में आराम आता है।
10-10 ग्राम नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीज की गिरी को अलग-अलग ताजे नीम के पत्तों के रस में पीसकर इकट्ठा करके मिला लें। मिलाते समय इसमें ऊपर से नीम के पत्तों का रस डालते जायें। जब यह मिलकर उबटन (लेप) की तरह हो जाये, तब इसे प्रयोग में लाने से शरीर के मैल, खुजली, दाद, बारिश तथा गर्मी में होने वाली फुन्सियां, शीतपित्त, शारीरिक दुर्गन्ध, पसीने में अधिक नमक का आना आदि रोगों में लाभ मिलता है।
50 ग्राम नीम के पत्तों और 50 ग्राम मेंहदी की पत्तियों को 60 मिलीलीटर नारियल के तेल में उबालकर और छानकर मालिश करने से खुजली दूर हो जाती है। नीम और मेंहंदी के इतने ही पत्तों का रस निकालकर सुबह और शाम पीने से खुजली में लाभ मिलता है।
86. सरफोंका : सरफोंका के बीजों का लेप करने से या उसके बीजों का तेल लगाने से खाज-खुजली ठीक हो जाती है।


87. मरोड़फली : मरोड़फली के फल को पीसकर लगाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।


88. छोटी दूद्धी : छोटी दूद्धी के रस को खाज और खुजली में लगाने से आराम आता है।


89. बिछुआ : बिछुआ के फल से भाप के द्वारा निकाले हुए तेल को खाज और खुजली पर लगाने से लाभ होता है।


90. द्रोणपुष्पी :


खाज-खुजली होने पर गूमा (द्रोणपुष्पी) का रस लगाने से लाभ होता है।
द्रोणपुष्पी के ताजा रस को खुजली वाली जगह पर मलने से राहत मिलती है।
91. जलकुम्भी : जलकुम्भी (कुम्भी) के रस को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से खाज-खुजली और त्वचा के दूसरे रोग ठीक हो जाते हैं।


92. रीठा : कण्डू और खाज-खुजली होने पर रीठा का लेप करने से ये रोग ठीक हो जाते है।


93. दूब :


हरी दूब को हल्दी के साथ पीसकर और घोल बनाकर पूरे शरीर पर लगाने से खाज-खुजली, दाद और त्वचा के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
2 चम्मच दूब (घास) के रस को 100 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में मिलाकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
94. माधवी लता : खाज-खुजली होने पर माधवी लता के पत्तों को पीसकर लगाने से खाज-खुजली ठीक हो जाती है।


95. केवड़ा : खाज-खुजली होने पर या त्वचा के दूसरे रोगो में केवड़ा के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।


96. चूरनहार : 40 मिलीलीटर चूरनहार की फांट को सुबह और शाम खुजली से पीड़ित रोगी को खिलाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।


97. शिलारस : शिलारस को 4 गुना तिल के तेल में मिलाकर लगाने से खाज और खुजली दूर हो जाती है।


98. विजयसार : खाज-खुजली होने पर विजयसार के पत्तों को पीसकर लगाने से आराम आता है।


99. महुआ : 20 से 40 मिलीलीटर महुआ की छाल का काढ़ा सुबह और शाम पीने से और इसी काढ़े से खाज-खुजली की वजह से हुये जख्म को धोने से बहुत जल्दी आराम आ जाता है।


100. चंदन :


चंदन का तेल लगाने से हर प्रकार की खाज और खुजली ठीक हो जाती है।
दूध के अन्दर चंदन या नारियल का तेल और कपूर मिलाकर त्वचा पर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।
चंदन के तेल को नींबू के रस में मिलाकर लेप करने से खुजली नष्ट हो जाती है।
101. अगर : अगर को पानी के साथ पीसकर शरीर में लगाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।


102. लता कस्तूरी : सूखी खुजली होने पर लता कस्तूरी के बीजों को दूध में पीसकर लेप की तरह लगाने से लाभ होता है।


103. भांट के पत्ते : 10 से 20 मिलीलीटर भांट के पत्तों का रस सुबह और शाम पीने से या 20 से 40 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा सुबह और शाम पीने से खुजली ठीक हो जाती है। भांट के पत्तों के रस को लगाने से खुजली में आराम आता है। इसके पंचांग से बने तेल को शरीर में जहां पर खुजली हो वहां पर लगाने से भी लाभ होता है।


104. भंगरैया :


भंगरैया का रस त्वचा के पुराने रोग जैसे खाज-खुजली, कण्डू आदि पर लगाने से आराम मिलता है।
5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में भंगरैया के रस को सुबह और शाम पीने से जिगर की क्रिया ठीक हो जाती है और पूरे शरीर में एक नयी ताजगी पैदा हो जाती है।
105. चालमोंगरा :


कुष्ठ (कोढ़) के रोगी के लिये चालमोंगरा के तेल को रोजाना मक्खन, मलाई या घी के साथ 5 बूंद से शुरू करके 60 बूंद तक धीरे-धीरे बढ़ाते हुये खिलाना चाहिये और इसी तेल को खाज-खुजली पर लगाने से लाभ होता है।
खाज-खुजली में चालमोंगरा के तेल को एरण्ड के तेल में मिलाकर उसमें गंधक, कपूर और नींबू का रस मिलाकर लगाने से बहुत जल्द ही लाभ मिलता है।
106. अड़ूसा : अड़ूसे के 10-12 कोमल पत्ते तथा 2 से 5 ग्राम हल्दी को एक साथ गोमूत्र में पीसकर लेप करने से खुजली व कण्डु रोग शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। इससे दाद और उकवत रोग में भी लाभ होता है।


107. गोभी : फूलगोभी में क्षारीय तत्व होते हैं। गोभी में गंधक अधिक मात्रा में पाये जाने के कारण खुजली, सफेद दाग और चर्मरोगों (त्वचा के रोग) में लाभ होता है। गोभी में पाये जाने वाले सल्फर और क्लोरीन का मिश्रण म्यूकस, मेंमरिन तथा आंतों की सफाई करता है। ये सभी क्षार शरीर व खून को साफ करते हैं। इससे चर्मरोग (त्वचा के रोग), गैस, नाखून और बालों के रोग दूर होते हैं। फूलगोभी को भाप में ही उबालकर ही खाना चाहिए।