लखनऊ विश्वविद्यालय में CAA को पाठ्यक्रम में शामिल करना गलत, सत्ता में आने पर वापस लेंगे: मायावती

 लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने नागरिकता संशोधन कानून को लखनऊ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल करने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर वह इसे वापस लेंगी।


उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर बहस तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह गलत और अनुचित है। बसपा इसका सख्त विरोध करती है और यूपी की सत्ता में आने पर इस पर रोक लगाएगी।


बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस विभाग ने नागरिकता संशोधन कानून को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। विभाग के अनुसार, सीएए अब एक कानून बन चुका है जिसे देखते हुए यह पहल की गई है। वहीं, कुलपति प्रो. आलोक कुमार ने कहा कि यह अभी सिर्फ प्रस्ताव रखा गया है। किसी विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए उसे बोर्ड मीटिंग और कार्यपरिषद की सहमति की जरूरत होती है। सीएए को शामिल करने का अभी सिर्फ प्रस्ताव रखा गया है।

उधर, सीएए कानून को लेकर देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। लखनऊ का घंटाघर और दिल्ली के शाहीन बाग के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में सीएए व एनआरसी के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सरकार से इस कानून को वापस लेने की बात कर रहे हैं जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ में इस कानून के पक्ष में की गई जनजागरुकता रैली में कहा था कि विरोध चाहे जितना हो नागरिकता संशोधन कानून वापस नहीं लिया जाएगा।