तुलसी के 71 लाजवाब फायदे व रोगों के अचूक घरेलू नुस्खे

तुलसी के 71 लाजवाब फायदे व रोगों के अचूक घरेलू नुस्खे | 
परिचय :


तुलसी सभी का परिचित एक पवित्र पौधा है । इसका लेटिन नाम-‘ओसिमन सैन्कटम’ है। तुलसी की प्रकृति गर्म है। इसलिए गर्मियों में इसका कम मात्रा में सेवन करें । बड़ों के लिए 25 से 100 पत्ते और बालकों के लिए 5 से 25 पत्ते एक बार पीस कर शहद या गुड़ में मिलाकर नित्य 2-3 बार माह तक लें ।


तुलसी के औषधीय गुण : 


प्रातःकाल भूखे पेट-प्रथम मात्रा लें । इस विधि से तुलसी का सेवन करने से गठिया, आर्थराइटिस, ओस्टियों अर्थाराइटिस, स्नायुशूल, गुर्दो की खराबी से सूजन, पथरी, सफेद दाग (ल्यूकोडमी) रक्त में चर्बी (ब्लड कोलेस्ट्रोल) बढ़ना, मोटापा, कब्ज, गैस, अम्लता (एसिडिटी) पेचिश,कोलायटिस, प्रास्टेट के रोग, मानसिक रूप से मन्द-बुद्धि (Mentally Retarted) बच्चे, सर्दी-जुकाम, विवर-प्रदाह (Sinusitis), घाव भरना, टूटी हुई हड्डियाँ जल्दी जुड़ना, घाव शीघ्र भरना, बार-बार बुखार आना, कैन्सर, बिबाइयाँ, दमा, श्वास रोग, एलर्जी, आँखे-दुखना, विटामिन ‘ए’ और ‘बी’ की कमी दूर होना, खसरा, सिर दर्द और आधे सिर का दर्द (Migraine) दूर हो जाते है। जहाँ तुलसी के पत्ते उपलब्ध न हों, वहाँ होम्योपैथी की बनी तुलसी की मदर टिन्क्चर ओसिमम सेंकटम (Occimum Sanctum) काम में लें । वायुमण्डल को शुद्ध रखने के लिए प्रत्येक घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।


तुलसी के फायदे / रोगों का उपचार : 
1-मस्तिष्क की गर्मी–तुलसी के 5 पत्ते और कालीमिर्च पीस लें । इसे 1 गिलास, जल में मिलाकर प्रातः समय 21 दिनों तक पीएँ।


2-शक्तिप्रद-शौच आदि से निवृत्त होकर प्रातः समय तुलसी के 5 पत्ते पानी के साथ निगल जाने से बल, तेज और स्मरणशक्ति बढ़ती है । तुलसी के पत्तों का रस 8 बूंद पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से माँसपेशियाँ और हड्डियाँ मजबूत होती हैं। तुलसी के बीज दूध में उबालकर शक्कर मिलाकर पीना भी शक्तिप्रद प्रयोग है।


3-मिरगी-तुलसी के हरे पत्तों को पीसकर मिरगी वाले रोगी के सम्पूर्ण शरीर पर मालिश करना लाभप्रद है।


4-बेहोशी-तुलसी के पत्तों को पीसकर नमक मिलाकर उस रस को नाक में डालने से बेहोशी में लाभ होता है।


5-मलेरिया ज्वर-तुलसी के पत्तों का नित्य सेवन करने से मलेरिया नहीं होता । यदि मलेरिया हो जाए तो ज्वर उतरने पर प्रातः समय 15 तुलसी के पत्ते और 10 कालीमिर्च खाने से मलेरिया बुखार पुनः नहीं चढ़ता।


6-तुलसी के सेवन से समस्त प्रकार के ज्वरों में लाभ होता है -20 तुलसी के पत्ते, 10 कालीमिर्च और 1 चम्मच शक्कर का काढ़ा बनाकर सेवन करने से भी मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
7-खाँसी, जुकाम, गलशोथ और फेफड़ों में कफ जमा होना-इन कष्टों में तुलसी के सूखे पत्ते, कपूर, कत्था और इलायची प्रत्येक समान मात्रा में और शक्कर 9 गुनी लेकर सबको बारीक पीस लें । इसे चुटकी भर की मात्रा में सुबह-शाम दिन में 2 बार सेवन करने से फेफड़ों में जमा हुआ कफ निकल जाता है।


8-नाक में दुर्गन्ध-तुलसी के पत्तों का रस या सूखे हुए तुलसी के पत्तों को सूंघने से नाक की दुर्गन्ध दूर होकर अपीनस रोग दूर हो जाता है और नाक के अपीनस के कृमि मर जाते हैं।


9-ज्वर-तुलसी के 10 पत्ते, सौंठ 3 ग्राम, लौंग 5 और कालीमिर्च 21 तथा चीनी स्वादानुसार लेकर उबालें । जब पानी आधा शेष रह जाए तो रोगी को पिला दें । इस प्रयोग से ज्वर उतर जाएगा ।


10-ज्वर में घबराहट-यदि ज्वर में घबराहट हो तो तुलसी के पत्तों के रस में शर्बत मिलाकर शर्बत बनाकर पिलाएँ।


11-जीर्ण ज्वर और खाँसी-यदि जीर्ण ज्वर हो गया हो और साथ ही ऐसी खाँसी हो जिससे छाती में दर्द हो तो तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीना लाभप्रद है।


12-गले में खराश-यदि यह कष्ट खट्टी चीजें खाने से हो तो 25 तुलसी के पत्ते और अदरक पीसकर शहद में मिलाकर चाटें । इस प्रयोग से खराश दूर हो जाएगी।


13-जुकाम व ज्वर-15 तुलसी के पत्ते और 4 कालीमिर्च सदैव खाते रहने से ज्वर व जुकाम नहीं होता।


14-तुलसी की चाय-लोग चाय को आदत के रूप में नित्य पीते हैं जो बहुत-ही हानिकारक है। चाय के स्थान पर तुलसी की चाय काम में लेने से अनेकों रोग दूर होकर स्वास्थ्य अच्छा हो जाता है।
विधि-छाया में सूखी हुई तुलसी की पत्ती 50 ग्राम, बनफ्शा, सौंफ, ब्राह्मी बँटी, लाल चन्दन प्रत्येक 30 ग्राम, इलायची, दाल-चीनी प्रत्येक 10-10 ग्राम मिलाकर कूट लें और इसे चाय के समान पानी में डालकर चाय बनाएँ तथा दूध और शक्कर मिलाकर पीएँ। इस चाय के सेवन से सामान्य ज्वर, जुकाम और छीकें आना ठीक हो जाएगा।


15-खाँसी और तुलसी (अनेक प्रयोग)-
(1) 5 लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के साथ चबाने से समस्त प्रकार की खाँसी में लाभ होता है।
(2) केवल तुलसी के पत्तों के काढ़े को पीने से भी खाँसी ठीक होती है।
(3) तुलसी की सूखी पत्तियाँ और मिश्री 4 ग्राम की 1 मात्रा लेने से खाँसी और फेफड़ों की घबराहट दूर हो जाती है।
(4) तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च सममात्रा में लेकर पीस लें । इसकी मूंग के आकार की गालियाँ बना लें । 1-1 गोली दिन में 4 बार सेवन करने से खाँसी तथा कुकर खाँसी (हूपिंग कफ) भी ठीक हो जाती है ।
(5) तुलसी, अदरक और प्याज का रस शहद के साथ सेवन करने से भी खाँसी में लाभ होता है और बलगम बाहर आ जाती है।
(6) तुलसी की 12 ग्राम हरी पत्तियों का काढ़ा बनाकर उसमें चीनी और गाय का दूध मिलाकर पीने से खाँसी और छाती का दर्द दूर हो जाता है।
(7) तुलसी का सूखा चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से भी खाँसी में लाभ होता है ।
(8) तुलसी और अदरक समान मात्रा में पीसकर 1 चम्मच रस निकालें । इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें । इस प्रयोग से खाँसी और गले के रोग ठीक हो जाते हैं ।
(9) तुलसी का रस 3 ग्राम, मिश्री 6 ग्राम और कालीमिर्च 3 नग मिलाकर सेवन करने से छाती की जकड़न, पुराना बुखार और खाँसी में लाभ होता है।


16-निमोनिया-20 तुलसी के हरे पत्ते और 5 नग कालीमिर्च पीसकर पानी में मिलाकर पिलाने से निमोनिया में लाभ होता है।


17-पाचक प्रयोग-भोजनोपरान्त तुलसी के ताजे पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से अजीर्ण दूर होता है । नित्य तुलसी के 5 पत्ते सेवन करने से भोजन शीघ्र पच जाता है।


18-आधे सिर का दर्द-चौथाई चम्मच तुलसी के पत्तों का चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम दिन में 2 बार चाटें। लाभप्रद है।


19-सिर दर्द-तुलसी के पत्ते छाया में सुखाकर रख लें । इन्हें पीस लें । इसे सिर दर्द | के रोगी को सँघने से पीड़ा शान्त होती है तथा पागलपन की उत्तेजना भी ठीक होती है।
तुलसी के पत्तों का रस और नीबू का रस समान मात्रा में पीने से भी सिर दर्द दूर हो जाता है।


20-जुकाम-तुलसी के पत्ते 10 नग, कालीमिर्च 5 नग पानी में मिलाकर चाय की भाँति उबालें । फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ और देशी घी या सेंधा नमक डालकर पीएँ ।इससे जुकाम में लाभ होता है।
• केवल तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से भी जुकाम ठीक हो जाता है या तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च और सोंठ भी चाय की तरह उबालकर शक्कर और दूध मिलाकर सेवन करने से भी जुकाम में आराम होता है।
• तुलसी की पत्तियों को सुखाकर-पीसकर सूंघने से बहता हुआ जुकाम रुकता है।
• बच्चों की सर्दी, खाँसी, कफ की घबराहट में तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। | बच्चों के दस्त-तुलसी और पान का रस समान मात्रा में गर्म करके पिलाने से बच्चों के दस्त साफ आते हैं, पेट फूलना और अफारा ठीक हो जाता है।


21- दाँत निकलना-तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर लगाने से और थोड़ा-सा चटाने से बच्चों के दाँत बिना कष्ट के सरलतापूर्वक निकल आते हैं । तुलसी के पत्तों का चूर्ण अनार के शर्बत के साथ देने से भी दाँत सरलतापूर्वक निकल आते हैं। दाद, सिर दर्द और ज्वर-इन कष्टों में तुलसी की पत्ती को पीसकर गोली बना लें। इसे दुःखते हुए दाँत के नीचे दबाए रखने से दाँत का दर्द शान्त हो जाता है।इसी गोली को खाने से हैजा ठीक होता है। तुलसी के पत्ते दाँतों से चबाकर खाने से दाँत मजबूत होते हैं और मुँह की बदबू दूर होती है।


22-पेचिश-तुलसी की पत्तियों को शक्कर के साथ खाने से पेचिश दूर होती है।


23-पेट दर्द- तुलसी और अदरक के रस को सम मात्रा में लेकर गरम करके पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है।


24- मरोड़-10 ग्राम तुलसी का रस पीने से पेट की मरोड़ ठीक हो जाती है, तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से दस्तों में लाभ होता है। 10 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस नित्य पीने से पेट की मरोड़ ठीक हो जाती है। यह प्रयोग अजीर्ण में भी हितकारी है।


25-उल्टी-तुलसी की पत्तियों का रस पीने से उल्टी बन्द हो जाती हैं। पेट के कीड़े मर जाते हैं। शहद और तुलसी का रस मिलाकर चाटने से जी-मिचलाना और उल्टी आना भी बन्द हो जाती हैं


26-संग्रहणी-तुलसी के पत्तों का चूर्ण और शक्कर (प्रत्येक 3 ग्राम) मिलाकर सेवन करना लाभकारी है।


27-अजीर्ण-मन्दाग्नि-तुलसी के पत्ते 20, कालीमिर्च 5 भोजनोपरान्त चबाने से मन्दाग्नि ठीक हो जाती है । तुलसी के काढ़े में सेंधानमक और सौंठ मिलाकर पीने से अजीर्ण ठीक होता है।


28-हिचकी-तुलसी का रस 12 ग्राम, शहद 6 ग्राम दोनों को मिलाकर पीने से हिचकी बन्द हो जाती हैं।


29-यकृत-1 गिलास पानी में 10 ग्राम तुलसी के पत्ते उबालकर चौथाई पानी रहने पर छानकर पीने से यकृत वृद्धि एवं यकृत के अन्य रोग ठीक हो जाते हैं ।


30-नकसीर-तुलसी के रस की 4-5 बूंदें नाक में टपकाने से नाक से खून गिरना बन्द हो जाता है।


31-पीनस, नाक में दर्द, घाव व फुन्सी-इन कष्टों में तुलसी के सूखे पत्तों को पीसकर पूँघने से लाभ होता है।


32-सुनने में गड़बड़, कान का दर्द-तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके 4-5 बूंदें कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। कान बहता हो तो इस प्रयोग को कुछ दिनों तक लगातार करने से लाभ होता है।


33-बच्चों का श्वास रोग- तुलसी के पत्तों का रस 5 बूंदें आधा चम्मच शहद में मिलाकर पिलाएँ।


34-चक्कर, सिर चकराना-इन कष्टों में तुलसी के 20 पत्तों को पीसकर 1 चम्मच शहद में मिलाकर चाटें ।


35-लू लगना, सिर चकराना-तुलसी के पत्तों का रस 5 बूंद, चीनी 1 चम्मच में पानी आधा कप मिलाकर सेवन करने से लू के मौसम में चलने वाली गर्म हवा नहीं लगती तथा चक्कर नहीं आते।


36-प्रदर-तुलसी के पत्तों का रस और शहद सममात्रा में मिलाकर सुबह-शाम चाटें या तुलसी के रस में जीरा मिलाकर गोदुग्ध के साथ सेवन करें। लाभ होगा।


37-स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव-तुलसी की जड़ का चूर्ण चौथाई चम्मच 1 पान में रखकर खिलाने से लाभ होता है।


38-प्रसव में आसानी–प्रसव-पीड़ा के समय तुलसी के पत्तों का रस पिलाने से | पीड़ा नहीं होती।


39-बन्द मासिकधर्म–मासिकधर्म रुकने पर तुलसी के बीज सेवन करने से लाभ होता है।


40-रक्तप्रदर-तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।


41-गर्भनिरोध-मासिकधर्म बन्द होने के 3 दिन तक प्रतिदिन 1 कप तुलसी के पत्तों का काढ़ा सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता तथा इस प्रयोग से कोई हानिकारक प्रभाव भी नहीं होता।


42- बाँझपन-यदि किसी स्त्री को मासिकधर्म नियमित रूप से सही मात्रा में होता हो, परन्तु गर्भ नहीं ठहरता हो तो मासिकधर्म के दिनों में तुलसी के बीज चबाने से या पानी में पीसकर लेने अथवा काढ़ा बनाकर सेवन करने से गर्भधारण हो जाता है। यदि गर्भ स्थापित न हो तो इस प्रयोग को 1 वर्ष तक करें । इस प्रयोग से गर्भाशय निरोग, सबल बनकर गर्भधारण करने के योग्य बनता है।


43-मूत्र में जलन-20 नग तुलसी की पत्तियाँ चबाने से लाभ होता है।


44-मुख के छाले-मुख के छाले तुलसी और चमेली की पत्तियाँ चबाने से ठीक हो जाते हैं।


45-चर्मरोग-दाद, खाज पर तुलसी के पत्तों का रस और नीबू का रस समान मात्रा में मिलाकर लगाने से ठीक हो जाता है । इस प्रयोग से चेहरे झाइयाँ, कील, मुँहासे व अन्य त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं।


46-घाव-तुलसी की पत्तियों को छाया में सुखाकर, बारीक पीसकर कपड़े से छानकर घाव पर छिड़कने से घाव भरता है। इसके पत्तों को पीसकर भी लगा सकते हैं।


47-घाव में कीड़े-तुलसी के पत्तों को उबालकर उस पानी से घावों का धोवें । तुलसी के पत्तों का चूर्ण घावों पर छिड़कें और तुलसी के पत्तों के रस में पतला कपड़ा (गाज) भिगोकर पट्टी बाँधे ।


48-जलना, खुजली और फुन्सीनाशक मरहम-तुलसी के पत्तों का रस 250 ग्राम, नारियल का तेल 250 ग्राम लें और इन दोनों को मिलाकर धीमी आग पर गरम करें । जल का भाग जल जाने पर गरम तेल में ही 15 ग्राम मोम डालकर हिलाएँ। बस मरहम तैयार है। यह मरहम उत्तम एवं लाभकारी है।


49-सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा ), खुजली की फुन्सियाँ व घाव-आदि पर तुलसी का तेल दिन में नित्य 3 बार लगाने से लाभ होता है । जड़ सहित सम्पूर्ण तुलसी का पौधा लें । इसे धोकर मिट्टी आदि साफ कर लें। फिर इसे कूट कर आधा किलो पानी और आधा किलो तिल का तेल मिलाकर धीमी-धीमी आँच पर पकाएँ। पानी जल जाने और तेल शेष रहने पर मलकर-छानकर सुरक्षित रख लें । यही तुलसी का तेल है। इसे ही लगाएँ। लाभप्रद है।


50-बच्चों के रोग-पेट फूलना, दस्त, सर्दी, जुकाम, खाँसी और उल्टी आदि कष्ट होने पर तुलसी के पत्तों के रस में चीनी मिलाकर शर्बत बना लें । इसे एक छोटी चम्मच भर पिलाएँ। बच्चों के यह रोग इस प्रयोग से ठीक हो जाते हैं। नियमित प्रयोग से बच्चा स्वस्थ रहता है।


51-बच्चों को स्वस्थ बनाए रखने हेतु-तुलसी और अदरक का रस गर्म करके ठण्डा होने पर शहद मिलाकर पिलाएँ।


52-दमा-तुलसी के रस में बलगम को पतला करके निकालने का गुण है। इसीलिए यह खाँसी, जुकाम में उपयोगी है । तुलसी का रस, शहद, अदरक व प्याज का रस मिलाकर सेवन करने से दमा, खाँसी में लाभ होता है। 


53-हृदय रोग व टान्सिलाइटिस व गले के रोग-तुलसी की माला गले में पहनने से ये रोग नहीं होते।


54-निरोगताप्रद-
(1) जो व्यक्ति तुलसी के 6 पत्ते नित्य खा लेता है वह अनेकों रोगों से सुरक्षित रहता है और सामान्य रोग इस प्रयोग से स्वतः ही दूर हो जाते हैं ।
(2) तुलसी की पिसी हुई पत्तियाँ 1 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करना भी गुणकारी है। इससे शरीर निरोग रहता है और गालों पर चमक पैदा होती है।


55-गृधसी शूल-तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर उसकी भाप वातनाड़ी पर देने से गृधसी (साइटिका पेन) में लाभ होता है।


56-मोटापा-तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करते रहने से मोटापा कम हो जाता है।


57-हृदय शक्तिवर्धक-सर्दी के मौसम में तुलसी के 10 पत्ते और 4 काली मिर्च 4 बादामों को लेकर ठण्डाई की तरह आधा कप पानी में नित्य घोलकर सेवन करने से विभिन्न प्रकार के हृदयरोग ठीक हो जाते हैं।


58-बिजली गिरना-तार की बिजली अथवा वर्षा में आकाश से गिरने वाली बिजली से यदि कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो सिर तथा चेहरे पर तुलसी का रस डालने से रोगी को होश आ जाता है।


59- पानी शुद्ध करना-पानी में तुलसी के पत्ते डालने से पानी शुद्ध हो जाता है।


60-आग से जल जाना—तुलसी के रस को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से जलन दूर होती है, छाले नहीं पड़ते, घाव ठीक हो जाते हैं।


61-स्मरणशक्ति-वर्द्धक-तुलसी पत्ते 10, कालीमिर्च 5 और 5 बादामों को लेकर थोड़ा-सा शुद्ध दूध मिलाकर ठण्डाई की भाँति पीने से स्मरणशक्ति बढ़ती है।


62-कील, मुँहासे, झाइयाँ व काले दाग-इन कष्टों में तुलसी का चूर्ण मक्खन में मिलाकर चेहरे पर मलें । | फोड़ानाशक-तुलसी के पत्ते पानी में उबालकर उस पानी से ही फोड़े को धोवें और तुलसी के ही ताजा पत्ते पीसकर फोड़ों पर लगाएँ । ( और पढ़े – कील मुहासों के 19 रामबाण घरेलु उपचार )


63-नारू या बाला-इस रोग में चमड़ी में से लम्बे धागे की तरह कीड़ा निकलता है। इसे ही बाला या नारू कहते हैं । जहाँ बाला निकलने वाला होता है वहाँ सूजन आ जाती है। इस सूजन वाले स्थान पर तुलसी की जड़ घिसकर लेप करने से बाला 2-3 बाहर आ जाता है। इसे बाँध देना चाहिए । इस प्रकार लेप करने से पूरा बाला बाहर निकल आता है।


64-बाल झड़ना या सफेद होना-यदि कम आयु में बाल गिरते हों या सफेद हो गएँ हों तो तुलसी के पत्ते और आँवले का चूर्ण पानी में मिलाकर सिर पर मलें । 10 मिनट बाद सिर धोलें। इससे बालों की जड़ें मजबूत होंगी।


65-स्वप्नदोष-तुलसी की जड़ के छोटे-छोटे टुकड़े करके पीसकर पानी में मिलाकर पीने से स्वप्नदोष में लाभ होता है। 


66-धातु दौर्बल्य-तुलसी के बीज 60 ग्राम और मिश्री 75 ग्राम लें । इन दोनों को पीसकर सुरक्षित रखलें । इसमें प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय के दूध से सेवन करें।


67-शीघ्रपतन-तुलसी की जड़ या बीज चौथाई चम्मच भर पान में रखकर खाने से शीघ्रपतन दूर होकर वीर्य पुष्ट होता है।


68-वीर्य सम्बन्धी रोग-3 ग्राम तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण सममात्रा में पुराने गुड़ में दूध के साथ सेवन से पुरुषत्व की वृद्धि होती है। पतला वीर्य गाढ़ा होता है तथा वीर्यवृद्धि होती है।


69-बबासीर-बबासीर के कष्ट में तुलसी के पत्तों को पीसकर लेप करने या रस लगाने से लाभ होता है। 
70- चेचक ज्वर-तुलसी के पत्तों के साथ अजवाइन पीसकर नित्य सेवन करने से । चेचक का ज्वर कम रहता है।


71- विषैले दंश-बिच्छू, बर्र या साँप काट ले तो तुलसी के पत्ते पीसकर जल में । मिलाकर रोगी को पिलाना लाभप्रद है। । मच्छरों से बचाव-तुलसी के पत्तों का रस शरीर पर लगाने से मच्छर नहीं कांटते ।


तुलसी की आयुर्वेदिक दवा :
1) तुलसी अर्क 
(वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)