अपने बच्चोंका पालन तो कुतिया भी करती है, इसमें क्या बड़ी बात है ?

।।श्रीहरि:।।
*अपने बच्चोंका पालन तो कुतिया भी करती है, इसमें क्या बड़ी बात है ?*


चाहे तो अपने बालकोंको अपना न मानकर (ठाकुरजीका मानकर) पालन करो और चाहे जो अपने बालक नहीं हैं, उनका पालन करो तो बड़ा पुण्य होगा। परन्तु ममता करनेसे यह पुण्य खत्म हो जाता है। *मैं अपने बच्चोंका पालन करूँ, अपने जनोंकी रक्षा करूँ—यह अपनापन ही आपके पुण्यका भक्षण कर जाता है। इसलिये सज्जनो ! आप कृपा करके अपने कुटुम्बको भगवानका मानें।* छोटे-बड़े जितने हैं, सब प्रभुके हैं। उनकी सेवा करें *और प्रभुसे कहें कि हे नाथ ! हम आपके ही जनोंकी सेवा करते हैं यदि आप ऐसा करने लग जायँ तो भगवानपर इसका अहसान हो जाय*। भगवान् भी कहेंगे कि हाँ भाई, मेरे बालकोंका पालन किया। आप ममता करेंगे तो भगवानपर कोई अहसान नहीं। अपने बच्चोंका पालन तो सब करते हैं। *केवल यह भाव रखें कि ये हमारे नहीं हैं ये ठाकुरजीके हैं। जीवन सफल हो जायगा सज्जनो !*


भगवान से अपनापन
( पुस्तक से)गीताप्रेस गोरखपुर
*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जीमहाराज*