भगवत्प्रेमी महापुरुष के भीतर जैसे परमात्मा हैं, वैसे-के-वैसे ही परमात्मा आप सबके भीतर

परम् श्रद्धेय स्वामी जी श्रीरामसुखदास जी महाराज



            🍁 *विचार संजीवनी* 🍁



*तत्वज्ञ, जीवन्मुक्त, भगवत्प्रेमी महापुरुष के भीतर जैसे परमात्मा हैं, वैसे-के-वैसे ही परमात्मा आप सबके भीतर हैं।* केवल आप स्वीकृति कर लो, वे प्रकट हो जायेंगे ! किसी को समय कम लगेगा, किसी को ज्यादा लगेगा, यह बात तो है, परन्तु सब-के-सब मुक्त हो जाएंगे, इसमें संदेह नहीं है ! केवल स्वीकार कर लो कि बात ऐसी ही है तो आपके भीतर परदा खुल जाएगा, दरवाजा खुला जाएगा ! हमारी समझ में नहीं आयी तो कैसे मानें--यह दरवाजा है। दरवाजा खोल दो तो सब ठीक हो जाएगा ! यह बड़े भारी लाभ की बात है ! किसी जन्म में मिली नहीं--ऐसी बात है ! भगवान की कृपा से होता है तो वह कृपा सबपर है ! *'सबपर मोहि बराबरि दाया'* आप आड़ मत लगाओ कि हम समझे नहीं तो कैसे मानें ? समझ की प्रतीक्षा मत करो कि समझ में आये तो मानेंगे। इतना आपने मान लिया कि बात यही सच्ची है तो बहुत काम हो गया ! दरवाजा खुल गया ! समझ वहाँ पहुंचती ही नहीं। प्रकृति से अतीत तत्व तक समझ कैसे पहुँचे ? आप कुछ मत करो, दरवाजा खोल दो। *दृढ़तापूर्वक स्वीकार कर लो कि बात ऐसी ही है।*


राम !             राम !!            राम !!!


परम् श्रद्धेय स्वामी जी श्रीरामसुखदास जी महाराज
*परमप्रभु अपने ही महुँ पायो*, पृ. सं १०७