मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में बहुत अधिक लाभकारी- घी

घी 
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति में कई प्रकार की औषधियों को बनाने के लिए घी का उपयोग किया जाता है। घी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बहुत अधिक लाभकारी होता है।
 घी सफेद और पीले रंग का होता है।घी का स्वाद फीका और स्वादिष्ट होता है।दूध को जमाने के बाद मथकर फिर इसे आग पर पकाकर घी निकाला जाता है।घी की प्रकृति गर्म होती है।
 घी का अधिक मात्रा में उपयोग करने से पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है तथा भूख भी खत्म हो सकती है।
नमक और शहद घी के दोषों को दूर करता है।
घी की तुलना ताजा दूध से की जा सकती है।
घी की 50 ग्राम की मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
घी तबियत को नर्म करता है। शरीर को स्वस्थ बनाता है। घी आवाज को साफ करता है। कलेजे की खरखराहट दूर करता है। घी गले की खुश्की को मिटाता है। सूखी खांसी को ठीक करने में यह लाभकारी होता है। यह मन को प्रसन्न करता है। दिमाग को बलवान बनाता है। यह वीर्य की वृद्धि करने वाला होता है। घी को बालकों के मसूढ़े पर मलने से उनके दांत आसानी से निकल आते हैं। यह विष (जहर) के दुष्प्रभाव को खत्म करने वाला होता है।


घी का  उपयोग :


1. अल्सर: हल्दी और मुलेठी का बारीक चूर्ण मिलाकर फिर इसे पानी में उबाल लें और ठण्डा करके रोग ग्रस्त स्थान पर लगाने से अल्सर ठीक होता है।


2. भूख न लगना: हींग और जीरे को घी में भूनकर भोजन करने के साथ सेवन करने से भूख ना लगने में लाभ मिलता है।


3. अतिझुधा भस्मक (अधिक भूख का लगना): घी में शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, इस मिश्रण के सेवन से अतिझुधा भस्मक रोग ठीक हो जाता है। नोट- घी और शहद समान मात्रा में न हो।


4. स्मरण शक्ति बढ़ाना:


सिर पर शुद्ध गाय के घी की मालिश करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा सिर के रोग भी दूर हो जाते हैं।
बच्चों के लिए रोजाना घी का प्रयोग करने से बच्चों कि स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
5. कब्ज:


रात को सोते समय 1 कप गर्म दूध में 5 मिलीमीटर घी मिलाकर, मिश्री के साथ सेवन कब्ज दूर होती है।
घी के साथ काकजंघा को मिलाकर पीने से कब्ज में लाभ मिलता है।
घी में काली मिर्च मिलाकर इसे गर्म दूध के साथ पीने से आंतों में रूका मल नर्म व ढ़ीला होके मल द्वारा बाहर हो जाता है जिसके फलस्वरूप कब्ज की समस्या भी खत्म हो जाती है।
6. चेहरे के काले दाग: रात को सोते समय घी को चेहरे पर मलने से चेहरे के काले दाग-धब्बे मिट जाते हैं।


7. होंठ फटना: घी में थोड़ा सा नमक मिलाकर होंठो व नाभि पर लगाने से होंठ फटना बंद हो जाता है।


8. नेत्रज्योति (आंखों की रोशनी बढ़ाना):


आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिये गाय का ताजा घी और मिश्री मिलाकर सेवन करें इससे आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
गाय के ताजा घी में देशी खाण्ड और कालीमिर्च मिला दें और इसमें से 1-2 चम्मच रोजाना सुबह खाली पेट सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
9. सिर का दर्द:


सुबह नाक के नथुनों में गाय के घी को 3-4 बूंद की मात्रा में डालने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।
घी और दूध को अधिक मात्रा में लेने से पित्तजन्य (गर्मी) के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है।
सिर पर घी को मलने और सूंघने से सिर का दर्द मिट जाता है।
पैरों के तलवों पर रात को सोते समय घी की मालिश करने से बिना कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
नियमित रूप से भोजन के साथ ही शुद्ध देशी घी का सेवन करने से सिर के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
15 या 20 मिनट तक भैंस या गाय के शुद्ध घी से सिर या पैरों के तलवों पर मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
गाय का घी अथवा वैसलीन में कपूर और पिसा हुआ सेंधा नमक को मिलाकर माथे या सिर पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
सुबह शुद्ध देसी घी में बनी गर्म-गर्म जलेबियों को खाने के बाद गर्म-गर्म दूध पीने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
तेज सिर दर्द होने पर रात को सोते समय पैर की तलवों के नीचे देशी घी से मालिश करें इससे सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
10. छाले: रात को सोते समय छालों पर घी लगाने से लाभ मिलता है।


11. आधासीसी (माइग्रेन):


2 चम्मच गाय के घी में आधा ग्राम शोराकलमी पीस लें फिर इसे सुघांने से आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
गाय के घी में काली मिर्च को पीसकर मिला लें फिर सिर के दांयी ओर दर्द होने पर इसे बांयी लगाए तथा इसे सूंघे और बांयी ओर दर्द होने पर दांयी ओर लगाए और इसे सूंघे इससे आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
लगभग एक ग्राम सफेद मिर्च को पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को गाय के घी में घोंटकर रख लें। इसमें से 2 से 3 बूंद प्रतिदिन 3-4 बार सूंघें और सांस को ऊपर की ओर खींचें। इस तरह से आधासीसी का दर्द निश्चित रूप से खत्म हो जाता है।
सूरज के उगने के साथ सिर दर्द घटता बढ़ता है तो ऐसी अवस्था में घी सूंघने लाभ मिलता है। सिर दर्द गर्मी का हो तो घी को ठण्डा करके और यदि बादी का हो तो गर्म घी से सिर पर मालिश करें इससे लाभ मिलेगा।
12. हिचकी:


शुद्ध घी को हल्का गर्म करके पीने से हिचकी नहीं आती है।
1 चम्मच घी में चुटकी भर सेंधा नमक डालकर सूंघने से हिचकी नहीं आती है।
गाय का घी गुनगुना करके पीने से खुश्की के कारण आने वाली हिचकी बंद हो जाती है।
13. मोटापा बढ़ाना: घी और चीनी मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार खाने से शरीर मोटा हो जाता है।


14. नकसीर (नाक से खून आने पर):


नकसीर से पीड़ित रोगी की गर्दन को पीछे झुकाकर लिटा दें और उसके दोनों नाक के नथुने मे 5-5 बूंद देशी घी डालकर उसे सांस अन्दर की ओर खींचने के लिए कहें। इस तरह से घी को सूंघने से नकसीर का रोग ठीक हो जाता है। यह क्रिया 7 दिनों तक करनी चाहिए।
ताजे घी से हर हफ्ते सिर की मालिश करें इससे नाक से खून का बहना बंद हो जाता है।
घी, गूगल और मोम को आग में डालकर उसका धुंआ नाक में लेने से छींके आना और नाक में से गाढ़ा और खारा बलगम तथा खून बहना बंद हो जाता है।
15. आग से जलना: आग से जल जाने पर जले हुए भाग पर घी लगाने से लाभ मिलता है।


16. बिवाइयां (एंड़ियों का फटना): देशी घी और नमक मिलाकर बिवाइयों पर लगायें। इससे त्वचा कोमल रहती है। सर्दियों में हाथ पैर भी नहीं फटते हैं।


17. पित्ती: पित्ती या छपाकी निकलने पर देशी घी और सेंधा नमक को मिलाकर मालिश करें। फिर कम्बल ओढ़कर पसीना निकलने दें इससे पित्ती मिट जाती है।


18. शराब का नशा: शराब का नशा होने पर 2 चम्मच घी और इतनी ही चीनी मिलाकर पीने से नशा उतर जाता है।


19. नाक में खुश्की होना: नाक में खुश्की तथा नथुनों पर पपड़ी जमने पर घी सूंघे और रूमाल पानी में भिगोकर सिर पर रखने से लाभ मिलता है।


20. सूखी खांसी: 15 से 20 ग्राम गाय या भैंस का शुद्ध घी और लगभग 20 कालीमिर्च एक कटोरी में डालकर आग पर गर्म करें। जब कालीमिर्च कड़कने लगे और ऊपर आ जाए तब इसे उतारकर ठण्डा करके इसमें 20 ग्राम पिसी हुई मिश्री या चीनी को मिला दें। इसके बाद इसे हल्का गर्म ही सेवन करें। इसके सेवन करने के 1 घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। इसको सुबह-शाम 2-3 दिनों तक सेवन करने से सूखी खांसी आना बंद हो जाती है।


21. काली खांसी: घी में भुनी हुई हींग 240 मिलीग्राम से लगभग 1 ग्राम पानी में घोलकर 2 बार सेवन करने से काली खांसी (कुकुर खांसी) ठीक हो जाती हैं।


22. खांसी:


देशी घी और गुड़ को आग पर गर्म करें जब यह पिघल जाएं तब इसे रोग को सेवन कराएं तथा इसके बाद रोगी के सीने पर घी और सेंधानमक मिलाकर मालिश करें इससे पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।
घी में कुचला जलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से 24 मिलीग्राम की मात्रा सुबह के समय में खाने से खांसी ठीक हो जाती है।
गाय के घी से 2 मिनट तक छाती पर लेप करने या सरसों के तेल में 1 चुटकी घी मिलाकर छाती पर मालिश करने से कफ निकल जाता है और खांसी में आराम मिलता है।
घी और सेंधानमक को मिलाकर सीने पर मालिश करने से पुरानी खांसी मिट जाती है।
घी और पुराने गुड़ को 1 साथ मिलाकर तवे पर गर्म करके सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है।
23. फफोला: जब शरीर पर मकड़ी के पेशाब के कारण से फफोले हो जाते हैं तो इन पर घी और नमक मिलाकर लगाने से फफोला ठीक हो जाता है।


24. ब्रोंकाइटिस (वायु प्रणाली की सूजन): घी में भुना हुआ हींग 240 से 960 मिलीग्राम प्रतिदिन सुबह और शाम सेवन करने से ब्रोंकाइटिस ठीक हो जाती है।


25. आंख के रोग:


1 ग्राम सप्तामृत लौह शहद और घी के साथ दिन में 2 बार लेना चाहिए इससे आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
14 से 28 मिलीलीटर त्रिफला का काढ़ा 5 से 10 ग्राम घी के साथ दिन में 3 बार लेने आंखों के रोग ठीक होते हैं।
पुराने घी को आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के कई रोग ठीक हो जाते हैं।
26. दमा: घी में भुना हुआ हींग लगभग 0.24 ग्राम से लगभग 1 ग्राम सुबह-शाम को पानी में घोलकर रोगी को पिलाने से दमा रोग ठीक हो जाता है। फुफ्फुस के अनेक रोगों में भी यह लाभकारी होता है।


27. पुनरावर्तक ज्वर: घी में भुनी हुई हींग 240 मिलीग्राम से लेकर 1 तक किसी खाद्य के साथ खाने से बुखार का आना बंद हो जाता है।


28. फेफड़ों की सूजन तथा जलन: घी में भुना हुआ हींग 240 से 960 मिलीग्राम की मात्रा में पानी मिलाकर पीने से फेफड़ों की सूजन ठीक हो जाता है।


29. दांतों का दर्द: घी अथवा तेल को आग पर हल्का गर्म करके प्रतिदिन 2 बार कुल्ला करें। इससे दांतों में मजबूती आती है।


30. दिनोंधी (दिन मे ना दिखाई देना): गाय का पुराना घी 1 से 2 बूंद रोजाना आंखों मे डालने से दिनोंधी रोग ठीक होता है।


31. बालों को काला करना: घी खाने और बालों की जड़ो में घी मालिश करने से बाल काले होते हैं।


32. एलर्जिक बुखार: घी में सेंधा नमक मिलाकर मालिश करने से शीत-पित्त बुखार ठीक हो जाता है।


33. मुंह के छाले:


रात को सोते समय घी को मुंह के छाले पर लगायें। इससे छालों के दर्द में आराम मिलता है।
रात को सोते समय मुंह में शुद्ध घी भरकर सोने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
34. नपुंसकता (नामर्दी): सहवास करने से 1 घण्टा पहले शिश्न पर 0.12 ग्राम घी की मालिश करने से नपुंसकता दूर होती है।


35. बवासीर:


देशी कर्पूर 20 ग्राम, जीरा सफेद, सुरमा काला, मुर्दासंख, पपरिया कत्था और यशद का भस्म (राख) 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर इन सब को मिलाकर महीन चूर्ण बना लें फिर गाय का घी 280 ग्राम को कांसे की थाली में इसमें बनायें हुए चूर्ण को मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को सभी बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द ठीक होते हैं।
घी, तिल और पीसी हुई मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर प्रतिदिन तीन बार खायें इससे बवासीर के मस्सों से खून का गिरना बंद हो जाता है।
घी, तिल और मिश्री को मिलाकर इसमें से 1-1 चम्मच की मात्रा रोजाना 3 बार सेवन करने से बवासीर के मस्सों से खून बहना रुक जाता है।
36. गर्भवती की उल्टी: शहद, दूध और घी में लाख का चूर्ण मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाता है।


37. कान में दर्द होना: 10 ग्राम घी में 10 ग्राम कपूर मिलाकर गर्म करें जब यह अच्छी तरह से पक जायें तो उसे शीशी के अन्दर भर दें। कान में दर्द होने पर इसे शीशी में से निकालकर कान में डालें इससे का का दर्द होना बंद हो जाता है।


38. हकलाना, तुतलाना: कल्याण घी 3 से 6 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम मिश्री में मिलाकर चाटें फिर इसके बाद गाय का दूध पीयें। लगातार कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से तुतलाना (हकलाना) बंद हो जाता है।


39. दस्त (अतिसार):


आधा गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच गाय या भैंस का शुद्ध देशी घी डालकर 1 दिन में सुबह और शाम पीने से दस्त का बार-बार आना बंद हो जाता है। बच्चों को कम मात्रा में इसका सेवन कराएं।
दस्तावर औषधि लेने से पहले यदि 3 दिन तक घी को कालीमिर्च के साथ पीयें तो आंते मुलायम हो जाती है और मल फूल जाता है और फिर इसके बाद दस्तावर औषधि लें तो पेट की सभी गंदगी बाहर निकल जाती है। इसके अलावा गर्म दूध और घी मिलाकर पीने से दस्त नर्म और ढीला होता है। यह बवासीर के रोग में भी लाभदायक होता है।
40. (पेचिश): काली हरड़, सोंठ, सौंफ और घी आदि को एक ही मात्रा लेकर उसे अच्छी तरह से भून लें फिर उसमें नमक मिलाकर ताजे पानी के साथ 5 ग्राम की मात्रा लेने से खूनी पेचिश ठीक हो जाता है।


41. अग्निमान्द्यता (अपच): शुद्व देशी घी में 50 ग्राम राल को 10 मिनट तक उबालकर पानी में डालकर रख दें। जब राल पानी में ऊपर आ जाऐ, तब इसे इकट्ठा कर पानी में मिलायें जब मक्खन जैसा जम जाएं तो इसे पानी से निकालकर रख दें। बड़े जायफल के बराबर इस राल को सुबह और शाम खाने से अपच रोग ठीक हो जाता है।


42. गला बैठना:


पित्त के कारण आवाज खराब होने पर घी पीकर ऊपर से दूध पीयें। इससे गला साफ हो जाएगा और गला बैठने की बीमारी दूर हो जाएगी।
1 चम्मच घी, 1 चम्मच मिश्री और 15 कालीमिर्च मिलाकर सुबह-शाम 2 बार चाटने से गला बैठना ठीक हो जाता है तथा इससे सूखी खांसी भी ठीक हो जाती है। इसे चाटने के कुछ घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए।
43. कफ जमना: बालक के छाती पर गाय का घी धीरे-धीरे मसलने से जमा हुआ कफ (बलगम) बाहर निकल जाता है।


44. बौनापन (शरीर का छोटा) होना: 25 ग्राम घी लेकर उसे तेल के साथ गर्म करके 300 मिलीलीटर दूध में छोंककर उतार लें और ठण्डा करके उसमें चीनी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है।


45. शीतपित्त:


पित्ती या चकत्तों के निकलने पर देशी घी और सेंधे नमक को मिलाकर मालिश करें फिर कम्बल ओढकर सो जाए पसीने से अपने आप को भीगने दें। इससे पित्ती मिट जायेंगी।
घी में सेंधा नमका मिलाकर मालिश करने से पित्ती ठीक हो जाती है।
46. मोटा होना:


घी और चीनी मिलाकर खाने से शरीर मोटा होता जाता है।
दाल, सब्जियों तथा अन्य भोजन को खाने से पहले उस पर नमक व काली मिर्च का चूर्ण छिड़कर फिर इसके ऊपर से घी के छीटे सेवन करने से शरीर मोटा होने लगता है।
47. निद्राचारित या नींद में चलना: सुबह और शाम को घी, मिश्री और लगभग 3-6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण को गाय के दूध के साथ सेवन करने से नींद में चलने का रोग ठीक हो जाता है।


48. जुकाम: रात को सोते समय नाक के दोनों छेदों में असली घी लगाने से जुकाम ठीक हो जाता है।


49. वात रोग: 10 ग्राम गाय का घी और 10 ग्राम निर्गुण्डी का चूर्ण मिलाकर खाने से कफ और वायु रोग ठीक हो जाते हैं।


50. पेट में दर्द:


देशी घी में भुनी हुई हींग 240 मिलीग्राम से 960 मिलीग्राम को अजवायन और काला नमक के चूर्ण के साथ पानी में घोलकर पीने से तुरन्त लाभ मिलता है।
घी की मालिश पेट पर करने से दर्द ठीक हो जाता है।
51. स्तनों की पुष्टता: भैंस का नौनी घी, बच तथा बड़ी खिरेंटी इन सभी को पीसकर स्तनों पर लगाने से स्तन बहुत कठोर तथा पुष्ट हो जाते हैं।


52. उंगुलियों का कांपना: गाय का घी और 4 गुना दूध मिलाकर इसे उबालें फिर उसमें मिश्री मिलाकर 3 से 6 ग्राम असगन्ध नागौरी का चूर्ण के साथ सुबह-शाम पीने से उंगुलियों का कांपना दूर हो जाता है।


53. जोड़ों के दर्द (गठिया रोग):


10 ग्राम गाय के दूध का घी और 10 ग्राम लहसुन के रस को हल्का-सा गर्म करके का घुटने की मालिश करने से गठिया के रोगी को फायदा मिलता है।
शुद्ध घी में बेशन की रोटी बिना नमक के चुपड़कर खाने से जोड़ों के दर्द कम हो जाता है।
54. भ्रम होना: पकाये हुए घी के साथ हरड़ का काढ़ा पिलाने से भ्रम रोग से मुक्ति मिल जाती है।


55. योनि रोग:


घी, तैल या शहद में रुई का फोहा बनाकर योनि में बहुत दिनों तक रखने से योनि में होने वाले सभी प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं।
देशी घी को योनि पर अच्छी तरह मलने के बाद दूध की भाप दें, फिर मिर्च, पीपल, सोंठ, धनिया, जीरा, अनार और पीपरा की जड़ को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर योनि के मुख में रखकर पट्टी बांधकर रख दें इससे योनि के रोग ठीक हो जाते हैं।
56. दिमाग के कीड़े: गाय के घी या बादाम रोगन की सिर में मालिश करने से दिमाग की कमजोरी दूर हो जाती है।


57. बाला रोग: 50 ग्राम घी को गर्म करके लगातार 3 दिन तक पीने से बाला रोग ठीक हो जाता है।


58. घबराहट या बेचैनी: 10 ग्राम गाय का घी, 40 ग्राम गाय का दूध और थोड़ी सी मिश्री मिलाकर गर्म करें तथा थोड़ी देर बाद जब यह हल्का गर्म रह जाए तब इसमें असगंध नागौरी लगभग 3 से 6 ग्राम सुबह और शाम को खाने से मानसिक और शरीर की दुर्बलता दूर होती है जिसके फलस्वरूप घबराहट तथा बेचैनी की शिकायत दूर हो जाती है।


59. हाथ पैरों की ऐंठन: हाथ-पैर में जलन हो तो इसके लिये गाय के घी से मालिश करें इससे लाभ मिलेगा।


60. जांघों का दर्द: जांघ में दर्द होने पर 1 चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच घी मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से रोग में लाभ मिलता है।


61. नहरूआ (स्यानु): नहरूआ के रोगी को असगन्ध की लुगदी और काढ़े के साथ घी मिलाकर पिलाने से रोगी को आराम मिलता है।


62. फोड़े-फुंसियां: अगर फोड़े को पकाना है तो उस पर पान के पत्ते पर थोड़ा सा घी गर्म करके लगा दें और फोड़े पर बांध दें।


63. तुण्डिका शोथ (टांसिल): घी में सेंधा नमक मिलाकर गले पर ऊपर से लेप करने से टांसिलों में लाभ होता है।


64. घमौरियों का होना: गाय या भैंस के असली घी से पूरे शरीर पर मालिश करने से घमौरियां खत्म हो जाती है और दुबारा होती भी नहीं है।


65. होठों का फटना:


रात को सोते समय होठों पर शुद्ध (असली) घी लगाने से फटे होंठ कोमल और नाजुक हो जाएंगे।
वनस्पति घी को होठों पर लगाने से होठ फटना बंद हो जाते हैं।
100 बार के धुले घी में कपूर मिलाकर होंठो पर लगाने से होंठ पर होने वाले घाव ठीक हो जाते हैं।
घी में नमक मिलाकर रोजाना दो से तीन बार नाभि पर लगाने से होठ का फटना पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
घी में नमक मिलाकर रोजाना दिन में 2 से 3 बार नाभि पर लगाने से होठ फटना´ दूर हो जाता है।
66. साइटिका (गृध्रसी): लहसुन घी में भूनकर पीस लें। इसके बाद सोंठ और पिप्पलामूल का चूर्ण इसमें मिलांए। इसमें से 1 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लेने से रोगी को फायदा मिलेगा।


67. बालरोग हितकर: घी में नमक मिलाकर रोजाना दिन में तीन बार पेट की नाभि पर मलना चाहियें इससे बालरोग में लाभ मिलता है।


68. शरीर को शक्तिशाली बनाना:


रोजाना लगभग 20 ग्राम घी को 30 ग्राम शहद के साथ मिलाकर भोजन के बाद खाने से मनुष्य की याददास्त मजबूत होती है तथा इसके के साथ ही साथ शरीर की ताकत में भी वृद्धि होती है।
250 ग्राम की मात्रा में शुद्ध देशी घी में बनी जलेबियों को लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह के समय लेने से मनुष्य की लम्बाई बढ़ती है। इसका सेवन लगातार 2 या 3 महीने तक करने से लाभ मिलता है।