तिब्बत के हित और चीन की चुनौती के मामलों में भारत तिब्बत समन्वय संघ ही थिंक टैंक व टास्क फोर्स के स्वरूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित होगा। यही कारण है कि भारत तिब्बत समन्वय संघ ने दिसंबर में आयोजित राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में जो 10 प्रस्ताव पास किए थे वह संगठन के काम का आधार बनने वाले हैं। आने वाले समय में बीटीएसएस इन्हीं प्रस्ताव को आधार बनाकर अपनी कार योजना तैयार करेगा।
आइए जानते हैं वह कौन कौन से प्रस्ताव है
पहला प्रस्ताव
14 नवंबर, 1962 पारित किया था । साम्राज्यवादी चीन ने तिब्बत को निगलने के बाद 1962 में भारत पर हमला कर कई हजार वर्ग मील जमीन पर कब्जा जमा लिया । भारतीय संसद ने 14 नवंबर 1962 को सर्वसम्मति से संकल्प प्रस्ताव पारित कर कहा था कि भारत की संसद प्रतिज्ञा करती है कि जब तक चीन से एक – एक इंच जमीन वापस नहीं ले लेते तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। इस संकल्प को प्रस्ताव कराने के पीछे का उद्देश्य चीन के कब्जे में मातृभूमि के उस हिस्से को पुनः प्राप्त करना तथा चीन ने भारत के साथ किस तरह विश्वासघात किया था उसे आने वाली पीढी व शासकों को यह याद दिलाना था। लेकिन तब से लेकर अब तक अपने इस संकल्प को संसद भूली बैठी रही। बीटीएसएस अब इसे याद दिलाने निकलेगा।
देश भर में फैले बीटीएसएस के कार्यकर्ता इसके लिए अपने स्थानीय सांसदों व विधायकों से संपर्क साधेंगे और सरकार पर जन व सामाजिक दबाव डाल कर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की मांग करेंगे।
दूसरा प्रस्ताव
देश उन महापुरुषों का सम्मान करने में अग्रणी है जिन्होंने इस राष्ट्र की रक्षा, मानवता की प्रगति व साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान किया हो। वर्ष 2011 से "मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में किए गए योगदान" को शामिल किए जाने के बाद भारत रत्न जैसा पुरस्कार आज एक नए क्षितिज के साथ हमारे समक्ष है।
इस क्रम में, भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक व राष्ट्रीय सुदृढ़ता की योजना और क्रियान्वयन के लिए राष्ट्र की अंतर-चेतना को जगाने का अतुलनीय भागीरथ योगदान करने वाले प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक रहे और इस भारत तिब्बत समन्वय संघ के आद्य प्रणेता हैं। उनको एवं विश्व शांति, धैर्य व करुणा के प्रतिमान परम पावन दलाई लामा जी को भी भारत रत्न प्रदान किया जाए।
तीसरा प्रस्ताव
तिब्बती परिक्षेत्र की प्राकृतिक संपदा और जल संसाधन के संरक्षण व मानव कल्याण के लिए इस क्षेत्र को " विश्व प्राकृतिक संपदा संरक्षित क्षेत्र " घोषित किया जाए।
चौथा प्रस्ताव
भारत सरकार कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए जाने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में वृद्धि कराए जाने का प्रयास किया जाए तथा देश में कुछ राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य से इस यात्रा में शामिल हुए तीर्थयात्रियों को उनके खर्चे की भरपाई अलग-अलग अंशदान के रूप में करती हैं। इसके लिए भारत सरकार यह प्रयास करें कि या तो वह सभी राज्य सरकारों को निर्देशित करें कि प्रत्येक राज्य सरकार एक समान रूप से तीर्थयात्रियों के व्यय की प्रतिपूर्ति करें या फिर स्वयं भारत सरकार अपने स्तर से पूरी प्रतिपूर्ति की जाये।
पांचवा प्रस्ताव
तिब्बत में महिलाओ पर हो रहे घृणित अत्याचारों तथा अमानवीय यातनाओं की भर्त्सना करते हुए करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में इसकी रोकथाम के लिए अंतरार्ष्ट्रीय समिति का गठन किये जाने का रखा गया।
दुनिया के समक्ष चीन की विस्तारवादी नीतियों से उत्पन्न खतरे और कोरोना जैसी महामारी को फैलाने में चीन के षड्यंत्र को उजागर किया।
प्रस्ताव ६
कोरोना फैलाकर अनगिनत लोगों की हत्या करने वाले चीन में आयोजित होने जा रहे शीतकालीन ओलंपिक का भारत को पूरी तरह से बहिष्कार और निंदा करनी चाहिए। वास्तव में BTSS भारत सरकार से चीन के साथ अपने सभी खेल संबंधों को तोड़ने का अनुरोध करता है जब तक कि चीन COVID-19 के लिए दुनिया और मानवता से माफी नहीं मांगता और जब तक कि चीन तिब्बत को मुक्त नहीं कर देता और भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर तक निर्बाध पहुंच की अनुमति नहीं देता।
प्रस्ताव ७
तिब्बत बॉर्डर पर चीनी सैनिकों के सामने भारतीय सैनिकों के बिना अस्त्र-शस्त्र के रखने के चीन से सन 1993 व 1996 के करार को तत्काल तोड़ा जाय जो भारतीय सैनिकों के उत्साह को हतोत्साहित करने का प्रयास करता है।
प्रस्ताव ८
भारत सरकार तिब्बती चिकित्सा पद्धति को आयुष के अंतर्गत मान्यता देते हुए इसके संरक्षण, शोध व विकास की कार्यनीति बनाते हुए पूरे देश में इस पद्धति के चिकित्सालय की स्थापना कर मानवता को लाभ पहुंचाने का कार्य करें।
प्रस्ताव ९
देश में भारत चीन सीमा के बजाय केवल भारत तिब्बत सीमा प्रयोग करने के संबंध में -
भारत सरकार इस वाक्यांश यह शब्दावली का प्रयोग करने को प्रतिबंधित करें जहां इंडो चाइना बॉर्डर लिखा हो बल्कि उसके स्थान पर भारत तिब्बत सीमा या इंडो तिब्बत बॉर्डर शब्द को ही मान्यता दें और अनुमति दें।
प्रस्ताव १०
देश में रह रहे तिब्बत वासियों को दोहरी नागरिकता दिए जाने संबंधी महत्वपूर्ण प्रस्ताव
जो भी तिब्बती भारत देश में निर्वासित जीवन जी रहे हैं उनको भारत की नागरिकता दी जाय। यह नागरिकता दोहरे प्रकार की हो। जब तिब्बत स्वतंत्र हो जाए तो भारत की नागरिकता वापस ले ली जाय। लेकिन तब तक तिब्बती लोगों को भारत की नागरिकता मिलने से तिब्बती समाज इस देश के लिए और भी उत्तम प्रकार से योगदान कर सकेगा।