नई दिल्ली। 71वें गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के दौरान दिल्ली स्थित राजपथ पर भारत की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता की झलक देखने को मिली। ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो की मौजूदगी में जल-थल-नभ में भारत ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इस बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में कई हथियार पहली बार शामिल हुए।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की उपग्रह रोधी (ए-सैट) हथियार प्रणाली रविवार को गणतंत्र दिवस की परेड का हिस्सा बनी। किसी भी देश की आर्थिक और सैन्य सर्वोच्चता के लिए अंतरिक्ष महत्वपूर्ण आयाम है और इसमें ए-सैट हथियार आवश्यक रणनीतिक प्रतिरोध प्रणाली में अहम भूमिका निभाता है।
पिछले साल मार्च में डीआरडीओ ने भारत के पहले ए-सैट मिशन मिशन शक्ति को लॉन्च किया था। यह भारत का पहला ए-सैट मिशन है जो विरोधी उपग्रहों को मार गिराने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन करता है। इसके लॉन्च के बाद इस क्षमता को रखने वाले अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में भारत शामिल हो गया था।
राजपथ पर वायुसेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे ने पहली बार उड़ान भरी। इन पांच हेलीकॉप्टरों के समूह का नेतृत्व विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त 125 हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर मन्नारथ शीलू ने किया।
एएच-64ई अपाचे विश्व के सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक हैं, जिसे अमेरिका सेना इस्तेमाल करती है। यह बेहद कम ऊंचाई से हवाई और जमीनी हमले में सक्षम है। भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अपाचे के बेड़े में शामिल होने से उसकी लड़ाकू क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इनमें भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बदलाव किया गया है।
राजपथ पर पहली बार के-9 वज्र-टी टैंक ने परेड में हिस्सा लिया। इस यूनिट की कमान 269 मीडियम रेजिमेंट के कैप्टन अभिनव साहू ने संभाली। यह दक्षिण कोरिया की तकनीकी पर आधारित लंबी दूरी की आर्टिलरी गन है। इसको भारत में लार्सन एंड ट्रूबो ने बनाया है। इस गन की 100 यूनिटों को सेना में शामिल किया जाएगा।
पाकिस्तान और चीन की सीमा पर मिल रही चुनौतियों के मद्देनजर इस तोप की जरूरत काफी समय पहले से महसूस की जा रही थी। आखिरी बार भारतीय सेना में बोफोर्स तोप को शामिल किया गया था। K9 वज्र की पहली रेजीमेंट इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है।
राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में रविवार को पहली बार धनुष तोप का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन कैप्टन मृगांक भारद्वाज की कमान में किया गया। 155एमएम और 45 कैलीबर धनुष तोप को होवित्जर तोप की तरह डिजाइन किया गया है। यह आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा स्वदेश निर्मित है।
अधिकतम 36.5 किलोमीटर दूरी की मारक क्षमता वाली इस तोप में स्वचालित बंदूक अलाइनमेंट और पोजिशनिंग की क्षमता है। इस तोप को सेना की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है।
चिनूक की सबसे बड़ी खासियत है तेज गति। पहले चिनूक ने 1962 में उड़ान भरी थी। यह एक मल्टी मिशन श्रेणी का हेलीकॉप्टर है। इसी चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से अमेरिकी कमांडो ने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारा था। वियतनाम से लेकर इराक के युद्धों तक शामिल चिनूक दो रोटर वाला हैवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर है।
भारत ने जिस चिनूक को खरीदा है, उसका नाम है CH-47 एफ है। यह 9.6 टन वजन उठा सकता है, जिससे भारी मशीनरी, तोप और बख्तरबंद गाड़ियां लाने-ले जाने में सक्षम है।
बोइंग के मुताबिक, अपाचे दुनिया के सबसे अच्छे लड़ाकू हेलिकॉप्टर माने जाते हैं। वहीं, चिनूक हेलिकॉप्टर बहुत ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। चिनूक भारी-भरकम सामान को भी काफी ऊंचाई पर आसानी से पहुंचा सकता है। अमेरिकी सेना लंबे वक्त से अपाचे और चिनूक का इस्तेमाल कर रही है। भारत अपाचे का इस्तेमाल करने वाला 16वां और चिनूक को इस्तेमाल करने वाला 19वां देश है।