शिवरात्रि पर एक लाख आठ हजार शिवलिंगों पर होता है महारुद्राभिषेक

उदयपुर । भगवान एकलिंगनाथ यानी शिवजी ही मेवाड़ के शासक हैं और इसीलिए मेवाड़ में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व मध्यकाल से ही रहा है। मेवाड़ के प्रसिद्ध कल्लाजी वेदपीठ में हर साल एक लाख आठ हजार शिवलिंगों का महारुद्राभिषेक होता है। इस साल भी यह आयोजन बेहद धूमधाम से होगा और वेदपीठ पर पढ़ने वाले बटुक (विद्यार्थी) पार्थिव शिवलिंग की तैयारी में जुट गए हैं। उनके द्वारा तैयार एक लाख आठ हजार शिवलिंगों का महारुद्राभिषेक आगामी 21 फरवरी यानी महाशिवरात्रि को होगा।


 बटुकों के जरिये तैयार होता है पार्थिव शिवलिंग


निंबाहेड़ा स्थित श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ (अब श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय) के आचार्य गोपाल शर्मा बताते हैं कि बटुकों के जरिये तैयार पार्थिव शिवलिंगों का महारुद्राभिषेक 21 द्रव्यों से होगा। महारुद्राभिषेक कार्यक्रम यहां हर वर्ष आयोजित होता है। इसमें भागीदारी निभाने वालों के पंजीयन किए जाते हैं। हर साल 301 यजमानों को इसका सौभाग्य प्राप्त होता है। हालांकि इससे कई गुना आवेदन उन्हें मिलते हैं।


एक लाख आठ हजार पार्थिव शिवलिंगों का महारुद्राभिषेक


उन्होंने कहा कि इस बार महाशिवरात्रि पर विशेष योग है। एक सौ सत्रह साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बनने जा रहा है। साल 2020 से पहले इसी तरह का योग 25 फरवरी 1903 को बना था। वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के डॉ. मृत्युंजय कुमार तिवारी बताते हैं कि हर साल यहां परंपरा के अनुसार एक लाख आठ हजार पार्थिव शिवलिंगों का महारुद्राभिषेक किया जाता है। ये शिवलिंग छात्र मिट्टी तथा उसमें पंचामृत मिलाकर तैयार कर रहे हैं। इन शिवलिंगों को वेदपीठ पर स्थापित करने के साथ इनकी आराधना की जाती है। मेवाड़ में ही नहीं, अपितु पूरे राजस्थान में यह अनोखी परंपरा केवल निंबाहेड़ा स्थित वेदपीठ में ही निभाई जाती है।


वह कहते हैं कि इस बार डेढ़ सौ से अधिक यजमानों के आवेदन महारुद्राभिषेक के लिए मिल चुके हैं, जबकि इतने ही और यजमानों को महारुद्राभिषेक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिल पाएगा। डॉ. तिवारी ने बताया कि महाशिवरात्रि को भगवान शिव का गंगाजल के अलावा, गाय के दूध, सरसों के तेल, मिश्री, शुद्ध देसी घी, पंचामृत, गन्ने के रस, शहद, छाछ और दही आदि से महारुद्राभिषेक किया जाएगा। इसके आयोजन की तैयारियां की जा रही हैं