वैज्ञानिक मतानुसार बीमार लोगों के लिए उत्तम पथ्य है- जौ

वैज्ञानिक मतानुसार : जौ बीमार लोगों के लिए उत्तम पथ्य है।



वैज्ञानिक मतानुसार : जौ बीमार लोगों के लिए उत्तम पथ्य है। जौ में से लेक्टिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, फास्फोरिक एसिड, पोटैशियम और कैल्शियम उपलब्ध होता है। जौ में अल्पमात्रा में कैरोटिन भी है। सुप्रसिद्ध मलटाइन काडलीवर नामक दवा में जौ का उपयोग होता है।
रंग :🌺 जौ का रंग पीला व सफेद होता है।
स्वाद 🌹🌹: इसका स्वाद फीका होता है।
स्वरूप : 🌼जौ एक प्रकार का अनाज है।
स्वभाव 🌺: जौ शीतल व ठण्डा होता है।
हानिकारक 🌻: इसका अधिक मात्रा में उपयोग मूत्राशय के लिए हानिकारक हो सकता है।
दोषों को दूर करने वाला🌻 : घी जौ में व्याप्त दोषों को दूर करता है।
तुलना :🍃 जौ की तुलना हम गेहूं से कर सकते हैं।
गुण :🥀 जौ कब्ज पैदा करता है खून की गरमी को शांत करता है। गर्मी की प्यास और बुखार को रोकती है। यह पुराना बुखार, टी.बी. और खांसी में लाभकारी है।
🌹विभिन्न रोगों में सहायक :
1.🥀 गर्भपात:
जौ का छना हुआ आटा, तिल और शक्कर प्रत्येक 12-12 ग्राम लेकर महीन पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से गर्भपात नहीं होता है।
जौ का आटा और शर्करा समभाग मिलाकर खाने से बार-बार होने वाला गर्भपात रुकता है।
2. 🌺आग से जलना: जौ जलाकर तिल के तेल में बारीक पीसकर जले हुए पीड़ित अंग पर लगाना लाभकारी है।
3.🍁 जौ की राख बनाने की विधि: किसी बर्तन में जौ डालकर जलता हुआ कोयला डालकर जौ को जलाएं। जौ जल जाने के बाद किसी बर्तन से ऐसा ढक दें कि उसमें हवा न जाए, फिर 4 घंटे के बाद कोयले को निकालकर फेंक दें और जले हुए जौ को पीस लें अथवा जौ को तवे पर इतना सेंके कि जौ जल जाए।
4.🍃 पथरी: जौ का पानी पीने से पथरी गल जाती है। पथरी के रोगियों को जौ से बनी चीजें, जैसे-रोटी, धाणी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी निकलने में सहायक मिलती है तथा पथरी नहीं बनती है, आन्तरिक बीमारियों और आन्तरिक अवयवों की सूजन में जौ की रोटी खाना लाभकारी है।
5🌺. प्यास अधिक लगना:
एक कप जौ कूटकर दो गिलास पानी में 8 घंटे के लिए भिगोकर रख दें। 8 घंटे बाद इसे आग पर उबालकर इसके पानी को छानकर गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से तेज प्यास मिट जाती है।
सेंके हुए जौ के आटे को पानी में मथकर (न अधिक गाढ़ा हो और न अधिक पतला) घी मिलाकर पीने से प्यास, जलन और रक्तपित्त दूर होती है।
6🌹. दस्त: जौ और मूंग का पसावन बनाकर पीने से आंतों की जलन दूर होती है और अतिसार में लाभ होता है।
7.🥀 रक्तवात: सेंके हुए जौ के आटे और मुलेठी को धोए हुए घी में मिलाकर लेप करने से रक्त वात खत्म हो जाता है।
8.🌹 दमा, श्वास रोग: दमा में 6 ग्राम जौ की राख और 6 ग्राम मिश्री दोनों को पीसकर सुबह-शाम गरम पानी से फंकी लेने से दमा (श्वास रोग) नष्ट हो जाता है।
9. 🌺उर:क्षत (सीने में घाव):
जौ का आटा 100 ग्राम, घी 100 ग्राम को अच्छी प्रकार से मिलाकर 250 मिलीलीटर दूध के साथ उबालकर दिन में दो बार सेवन करने से उर:क्षत में लाभ मिलता है।
जौ का सत्तू 100 ग्राम, शर्करा 50 ग्राम, मधु 50 ग्राम को अच्छी तरह से मिलाकर 250 मिलीलीटर दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करने से उर:क्षत नष्ट हो जाता है।
10🍂. बांझपन की पहचान: एक गमले की मिट्टी में जौ के दाने दबाएं फिर स्त्री का सुबह का मूत्र इसमें डाले। यदि एक सप्ताह के लगभग दाने उग आएं तो समझना चाहिए कि स्त्री बांझ नहीं हैं।
11. 🌺अम्लपित्त:
जौ का जूस या मांड शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
तुष रहित जौ और अडूसा को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में दालचीनी, तेजपात, इलायची का चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त से होने वाली उल्टी तुरन्त दूर हो जाती है।
12. लू का लगना: रोगी के शरीर पर जौ के आटे का लेप (उबटन) मलने से लाभ मिलता है।
13🌹. जलोदर: जौ का माण्ड पीने से जलोदर समाप्त हो जाता है।
14. 🌺मधुमेह का रोग:
जौ का आटा 50 ग्राम, चने का आटा 10 ग्राम मिलाकर रोटी बनाकर सब्जियों के साथ खायें। यदि केवल चने की रोटी ही 8-10 दिन खायें, तो पेशाब में शक्कर जाना बंद हो जाता है।सनेहा समूह
जौ मधुमेह के रोगियों के लिए व मोटापा कम करने के लिए बेहद उपयोगी हैं। जौ की रोटी को खाने से मधुमेह रोग नियन्त्रण में रहता है।
जौ को भूनकर आटे की तरह पीसकर रोटी बनाकर खाने से मधुमेह में लाभ होता है।
15.🌺 मोटापा:
जौ के सत्तू और त्रिफले के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त हो जाता है।स्नेहा आयूर्वेद ग्रुप
जौ को पानी में 12 घंटे तक भिगो दें। इसके बाद इसे सुखाकर छिलका उतार दें, बिना छिलके के जौ भी मिलते हैं। छिलके रहित जौ की खीर दूध के साथ बनाकर रोजाना सुबह और शाम कुछ दिनों तक खाने से कमजोर व्यक्ति मोटे हो जाते हैं।
16. 🌻शरीर का शक्तिशाली होना:
जरूरत के अनुसार जौ लें और इनको पानी में भिगोकर कूट लें और इनका छिलका उतार लें। अब लगभग 60 ग्राम की मात्रा में छिले हुए जौ को लगभग 500 मिलीलीटर दूध में डालकर इसकी खीर बनायें। दो महीनों तक इसको लगातार खाने से पतला आदमी भी मोटा हो जाता है और उसके शरीर में जबरदस्त ताकत आ जाती है। अगर इस खीर का प्रयोग प्रतिदिन न कर सके तो हफ्ते में कम से कम दो या तीन बार अवश्य करें।
उबले हुए जौ का पानी रोजाना सुबह और शाम को पीने से शरीर में खून बढ़ता है। जौ का पानी गर्मियों के दिनों में पीने से अधिक लाभ मिलता है।
17. 💐पेशाब में खून आना: 50 ग्राम जौ को आधा किलो पानी में डालकर उबाल लें। जब उबलने पर पानी आधा बाकी रह जाये तो उसे उतारकर दिन में 3 बार पीने से पेशाब में खून आना बंद हो जाता है।
18. 🌹गठिया रोग: चीनी तथा जौ के आटे के बने लड्डू गठिया के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। इससे दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
19. 🌺गर्मी के कारण चक्कर आना: जौ का सत्तू पीने या खाने से शरीर में ठण्डक आती है और शरीर गर्मी सहन कर सकता है।
20. 🌹नहरूआ (स्यानु): नहरूआ के रोगी को ज्वार के आटे में दही मिलाकर बांधने से तथा गोली बनाकर खाने से नहरूआ रोग दूर हो जाता है।
21. 🍃पीलिया: जौ के सत्तू खाकर ऊपर से एक गिलास गन्ने का रस पिएं, चार-पांच दिन में ही पीलिया का रोग दूर हो जाएगा।
22🌺. हाथों का खुरदरापन: जौ के आटे में थोड़ा सा पानी मिलाकर उसे हाथों पर मलने से लाभ होता है।
23. 🍂रंग को निखारना:
1 मुट्ठी छने हुए जौ के आटे को एक पतले से कपड़े में बांधकर पोटली बना लें फिर उस पोटली को कच्चे दूध में भिगोकर हफ्ते में कम से कम 3 बार नहाते समय शरीर पर रगड़ने से धीरे-धीरे त्वचा का सांवलापन दूर हो जाता है।स्नेहा समूह
जौ का आटा, पिसी हुई हल्दी और सरसों के तेल को पानी में मिलाकर लेप बना लें। रोजाना शरीर में इसका लेप करके गर्म पानी से नहाने से काले रंग वाले लोगों का रंग गोरा होने लगता है।
24.🌾 जलने पर:
जौ के सत्तू को शरीर पर मलने से जलन मिट जाती है।
शरीर के किसी भाग के जल जाने पर जौ को बारीक पीसकर तिल के तेल में मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
25. 🌻त्वचा का मुलायम होना: आधा कप जौ का आटा और 1 चम्मच मलाई में आधा नींबू निचोड़ लें और ऊपर से थोड़ा सा पानी डालकर घोल बना लें। इस घोल को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लेप करके छोड़ दें और फिर चेहरा धो लें। ऐसा रोजाना करने से चेहरे पर चमक आ जायेगी और चेहरा बहुत ही खूबसूरत लगेगा।
26. 🌹गले की सूजन: सुबह के समय कच्चे जौ चबाकर खाने से भी गला खुल जाता है।
27.🥀 बच्चों की चिकित्सा: अच्छा खाना मिलने के बावजूद भी जो बच्चा सूखता चला जा रहा हो, कमजोर होता चला जा रहा हो, बार-बार खाना खाने के बाद भी भूख ही भूख चिल्ला रहा हो तो उसको बिदारीकन्द, गेहूं, जौ का आटा और घी मिलाकर खिलाना चाहिए तथा ऊपर से शहद और मिश्री के साथ दूध पिलाना चाहिए। अगर कच्चा दूध नुकसान करे तो दूध गर्म करके ठण्डा होने पर उसमें शहद और मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए।
28. 💐शरीर में सूजन: लगभग एक लीटर पानी में एक कप जौ को उबालकर इस पानी को ठण्डा करके पीने से शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।
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