विटामिन ‘ए’ के फायदे

*विटामिन के फायदे और नुकसान*


*विटामिन ‘ए’ के फायदे :*


*सबसे पहले विटामिन ‘ए’ की चर्चा करते हैं। हमारे आहार में थोड़ी बहुत मात्रा में ये विटामिन मौजूद रहते हैं।*


 *आहार के जो तत्व हमारी नेत्र की ज्योति और त्वचा को स्वस्थ रखते हैं उन तत्वों को विटामिन ‘ए’ कहा गया है।*


*विटामिन ‘ए’ की बनी बनाई टेबलेट, केपसूल आदि दवाइयां बाज़ार में सब जगह मिलती हैं पर प्राकृतिक रूप से हरी शाक-सब्ज़ी, फल आदि शाकाहारी भोजन से विटामिन प्राप्त करना सर्वश्रेष्ठ और अधिक गुणकारी है। हरी शाक सब्ज़ी में पाया जाने वाला तत्व ‘केरोटीन’ शरीर में पहुंच कर विटामिन ‘ए’ के रूप में परिवर्तित हो जाता है।*


*आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि प्रति दिन 5000 यूनिट विटामिन ‘ए’ मिल जाना पर्याप्त है।*


*विटामिन ‘ए’ की कमी के लक्षण और रोग :*


*✦ विटामिन ‘ए’ की कमी या इसका बिल्कुल अभाव होने से हमारी नज़र कम या बिल्कुल खत्म हो सकती है और हम अन्धे हो सकते हैं।*


*✦ बाल्यकाल में बच्चों के आहार में इस विटामिन की कमी से उनकी नज़र कमज़ोर हो जाती है, वे अन्धे हो सकते हैं।*


*✦ रात में न दिखाई देना ‘रतौंधी‘ यानी रात का अन्धापन कहलाता है यह भी इसी विटामिन के अभाव के कारण होता है।*


*विटामिन ‘ए’ के स्रोत*


*इसके लिए आप शाक सब्ज़ी में चौलाई, मैथी, पत्ता गोभी आदि हरी पत्ती वाली शाक सब्ज़ी खाइए।*


*फलों में आम, पपीता, टमाटर, तरबूज, गाजर, सीताफल, नारंगी आदि तथा मख्खन व दूध का सेवन कीजिए। बासे, अधिक पके हुए और ज्यादा धूप खाए हुए पदार्थों में यह विटामिन नष्ट हो जाता है।*


*विटामिन-बी (समूह) :*


*विटामिन बी के तत्व बहुत व्यापक और विभिन्न गुण वाले पाये गये अतः वैज्ञानिकों ने इनके वर्ग तय करके एक ‘विटामिन बी’ समूह यानी विटामिन बी ग्रुप निर्धारित किया। इनमें विटामिन बी1, बी2, बी6, और बी 12 शामिल हैं।  मेडिकल भाषा में बी-वन को थायमिन, बी-टू को रिबोफ्लेविन कहते हैं।*


*विटामिन-बी (ग्रुप) की कमी के लक्षण और रोग*


*✦ बी-वन की कमी से ‘बेरी-बेरी’ नामक रोग होता है जिसमें मांस पेशियां कमज़ोर हो जाती हैं, पैरों में सूजन आती है सांस फूलती है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। मशीन से साफ़ किये हुए व पालिश किये हुए चावल के अधिक प्रयोग से भी यह रोग होता है।*


*✦ विटामिन बी-वन की कमी से हाथ पैर सुन्न होना सामान्य कमज़ोरी, भूख की कमी, लकवा होना, चक्कर आना व पेट की गड़बड़ी आदि व्याधियां होती हैं।*


*✦ हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है।*


*✦ विटामिन बी-टू की कमी से जीभ फटना, होंठों के कोने फटना, होठों पर सूखी पपड़ी जमना, जीभ की रंगत खराब होना, सारे शरीर में शिथिलता व थकावट आदि लक्षण प्रकट होते हैं।*


*✦ सर्वाधिक प्रभाव बी-12 का यह होता है कि इसकी कमी से रक्त की कमी हो जाती है, एनेमिक हालत हो जाती है।*


 *✦ बच्चों के शरीर का विकास रुक जाता है।*


*✦ नस नाड़ी व स्नायविक संस्थान कमज़ोर पड़ जाता है। त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है।*


*✦ कमज़ोरी, चक्कर, पाचन शक्ति में खराबी,दुबलापन, जीभ चिकनी, अन्दर पेट में दाह चिड़चिड़ापन आदि लक्षण प्रकट होते हैं।*


*बी-12 में कोबाल्ट और सायनाइड दो तत्व पाये जाने से इसे सायनोकोबालमिन भी कहा जाता है।*


*विटामिन-बी (ग्रुप) के स्रोत :*


*यह विटामिन छिलके सहित सब्ज़ी, गेहूं की चोकर, साबुत अंकुरित अन्न, दाल, मूंगफली, खमीर आदि में पाया जाता है। अतः इनका यथोचित सेवन करना चाहिए।*


*विटामिन-सी के फायदे :*


*बच्चों के दांत निकलते समय और गर्भवती स्त्री के लिए विटामिन-सी बहुत ज़रूरी होता है।*


*विटामिन-सी की कमी के लक्षण और रोग*


*इस विटामिन की कमी से मसूढ़े फूलना, जोड़ों में सूजन व दर्द, त्वचा रोग और स्कर्वी रोग आदि उपद्रव होते हैं।*


*विटामिन-सी के स्रोत :*


*विटामिन-सी सबसे अधिक आंवला और अमरूद में तो होता ही है, नींबू, सन्तरे, टमाटर, पालक, हरी सब्ज़ियों, अंकुरित मूंग और कच्चे दूध में भी पाया जाता है।*


*विटामिन डी के फायदे :*


*यह हमारे शरीर की हड्डियों और दांतों को मज़बूत बनाता है। इसकी सहायता से कैल्शियम का पाचन होता है।*


*विटामिन डी के स्रोत :*


*विटामिन ‘डी’ सर्वाधिक रूप से सूर्य की किरणों से मिलता है। आहार में मख्खन, पनीर, दूध,हरी शाक सब्ज़ी और दही  से मिलता है।*


*विटामिन-ई के फायदे :*


*यह शरीर के विकास में उपयोगी है और प्रजनन शक्ति प्रदान करने वाला है*


*विशेष कर छोटे बच्चों के शरीर में समुचित विकास के लिए यह ज़रूरी होता है।*


*विटामिन-ई के स्रोत :*


*यह दूध, गेहूं की चोकर, दाल, तिल में पाया जाता है।*


*हमारे आहार वाले पदार्थों में विटामिन एवं अन्य पोषक तत्व बने रहें और नष्ट न हो जाएं इसके लिए हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।*


*विशेष बातें :*
*
✶ सभी पदार्थ सब्ज़ी फल आदि ताज़े ही खाना चाहिए।*


*✶सब्ज़ी धोकर बिना छीले यानी छिलके सहित ही पकाएं और सब्ज़ी उबाल कर पानी फेंकें नहीं बल्कि इस पानी को आटे में डाल लें क्योंकि इस पानी में पोषक तत्व रहते हैं।*


*✶ कच्चे ही खाये जाने वाले फल या शाक, सलाद आदि को तभी काटें जब खाना हो।*


*✶ काट कर देर तक रखे हुए, बासे, फिर से गर्म किये हुए, ज्यादा पकाये हुए, अधिक तले हुए और तेज़ मिर्च मसालों से युक्त पदार्थों के तत्व नष्ट हो जाते हैं।*


*✶ सब्ज़ी आदि को जल्दी पकाने के लिए खाने का सोडा प्रयोग न करें।*


*✶ आटा मोटा पिसवाएं और चोकर सहित गूंधे।*


*✶ भोजन में अधिक से अधिक हरी शाक सब्ज़ी का सेवन करें।*


*✶ बिना पकाये हुए कच्ची और ताज़ी सब्ज़ी ही खाना और भी अधिक गुणकारी होता है।*